ये है नियम
जेल के नियमों की बात करें तो सुबह 8-10 बजे और दोपहर 12-5 बजे तक लॉकप होता है। इस दौरान कैदियों को बैरक के अंदर बंद रखा जाता है। विशेष परिस्थिति में सक्षम अधिकारी के आदेश पर लॉकप खोला जाता है। लेकिन, सतना केंद्रीय जेल में लॉकप के नियम के पालन में मनमानी होती है। जेलकर्मी अपनी सुविधा अनुसार, लॉकप समय में कैदियों को बंद व बाहर करते रहते हैं। जेल अधीक्षक एनीपी सिंह की मानें तो कैदी ने शाम करीब 4.30 बजे आत्महत्या की है। सवाल उठता है कि 12-5 बजे तक लॉकप था, ऐसे में कैदी बैरक से बाहर क्या कर रहा था। उस पर जेलकर्मियों की नजर क्यों नहीं पड़ी? अगर जेलकर्मी जानते थे तो उसे बैरक में क्यों नहीं डाला? ऐसे तमाम सवाल हैं जिससे जेल प्रबंधन बचना चाहता है। जेल अधीक्षक भी ऐसे सवालों का सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं।
जेल के नियमों की बात करें तो सुबह 8-10 बजे और दोपहर 12-5 बजे तक लॉकप होता है। इस दौरान कैदियों को बैरक के अंदर बंद रखा जाता है। विशेष परिस्थिति में सक्षम अधिकारी के आदेश पर लॉकप खोला जाता है। लेकिन, सतना केंद्रीय जेल में लॉकप के नियम के पालन में मनमानी होती है। जेलकर्मी अपनी सुविधा अनुसार, लॉकप समय में कैदियों को बंद व बाहर करते रहते हैं। जेल अधीक्षक एनीपी सिंह की मानें तो कैदी ने शाम करीब 4.30 बजे आत्महत्या की है। सवाल उठता है कि 12-5 बजे तक लॉकप था, ऐसे में कैदी बैरक से बाहर क्या कर रहा था। उस पर जेलकर्मियों की नजर क्यों नहीं पड़ी? अगर जेलकर्मी जानते थे तो उसे बैरक में क्यों नहीं डाला? ऐसे तमाम सवाल हैं जिससे जेल प्रबंधन बचना चाहता है। जेल अधीक्षक भी ऐसे सवालों का सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं।
जेलर को राहत क्यों?
एक माह के अंदर दो कैदियों ने आत्महत्या की है। दोनों वारदात के समय जेलर बद्री विशाल शुक्ला अवकाश पर थे। इसका लाभ उन्हें दिया जा रहा है। लेकिन, ये घटनाएं ऐसी नहीं हैं जो अचानक परिस्थिति अनुसार बनी हों। बल्कि लंबे समय की प्रतिक्रिया हैं, जो आत्महत्या के रूप में सामने आईं। जेल के अंदर हर गतिविधि व सूचना पर नजर रखने की सीधी जिम्मेदारी जेलर की होती है। चाहे एकतरफा प्रेम हो या अन्य रिश्तों की बात हो। अगर, जेलर को नहीं मालूम था तो उनकी पदीय जिम्मेदारी की घोर असफलता है। अगर, मालूम था और उन्होंने उचित कदम नहीं उठाया तो भी गैर जिम्मेदराना रवैया है। लिहाजा अवकाश के नाम पर जिम्मेदारी से बचाना जेल प्रबंधन पर सवाल खड़ा करता है।
एक माह के अंदर दो कैदियों ने आत्महत्या की है। दोनों वारदात के समय जेलर बद्री विशाल शुक्ला अवकाश पर थे। इसका लाभ उन्हें दिया जा रहा है। लेकिन, ये घटनाएं ऐसी नहीं हैं जो अचानक परिस्थिति अनुसार बनी हों। बल्कि लंबे समय की प्रतिक्रिया हैं, जो आत्महत्या के रूप में सामने आईं। जेल के अंदर हर गतिविधि व सूचना पर नजर रखने की सीधी जिम्मेदारी जेलर की होती है। चाहे एकतरफा प्रेम हो या अन्य रिश्तों की बात हो। अगर, जेलर को नहीं मालूम था तो उनकी पदीय जिम्मेदारी की घोर असफलता है। अगर, मालूम था और उन्होंने उचित कदम नहीं उठाया तो भी गैर जिम्मेदराना रवैया है। लिहाजा अवकाश के नाम पर जिम्मेदारी से बचाना जेल प्रबंधन पर सवाल खड़ा करता है।
जिम्मेदारी तय नहीं हुई
घटना के 24 घंटे बाद भी जेल प्रबंधन अपने कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय नहीं कर पाया। उल्टा उन्हें बचाने में लगा है। शनिवार को ड्यूटी में चक्कर गेट पर प्रहरी निलेश कुमार मिश्रा, चक्कर अधिकारी के रूप में मुख्य प्रहरी रामकरण शर्मा और खंड अधिकारी के रूप में अभिमन्यु पांडेय तैनात थे। इसके अलावा अन्य जेलकर्मी भी थे। इनकी जिम्मेदारी थी कि हर कैदी की गतिविधि पर नजर रखें। अगर कैदी ने आत्महत्या की है, तो सीधे तौर पर जिम्मेदारी बनती है पर प्रबंधन बचाने में लगा हुआ है।
घटना के 24 घंटे बाद भी जेल प्रबंधन अपने कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय नहीं कर पाया। उल्टा उन्हें बचाने में लगा है। शनिवार को ड्यूटी में चक्कर गेट पर प्रहरी निलेश कुमार मिश्रा, चक्कर अधिकारी के रूप में मुख्य प्रहरी रामकरण शर्मा और खंड अधिकारी के रूप में अभिमन्यु पांडेय तैनात थे। इसके अलावा अन्य जेलकर्मी भी थे। इनकी जिम्मेदारी थी कि हर कैदी की गतिविधि पर नजर रखें। अगर कैदी ने आत्महत्या की है, तो सीधे तौर पर जिम्मेदारी बनती है पर प्रबंधन बचाने में लगा हुआ है।
डॉक्टर की टीम ने किया पीएम
रविवार सुबह करीब 11 बजे चार सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने कैदी के शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें डॉ सुधीर सिंह, डॉ आरएन सोनी, डॉ केएल नामदेव व डॉ यूएस ठाकुर शामिल रहे। डॉक्टरों ने प्रथम दृष्ट्या फंदे पर लटकने व दम घुटने के कारण मौत माना है। हालांकि अभी विस्तृत रिपोर्ट नहीं दी है। पीएम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। परिजन भी जेल प्रबंधन पर प्रताडऩा के आरोप लगाए हैं।
रविवार सुबह करीब 11 बजे चार सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने कैदी के शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें डॉ सुधीर सिंह, डॉ आरएन सोनी, डॉ केएल नामदेव व डॉ यूएस ठाकुर शामिल रहे। डॉक्टरों ने प्रथम दृष्ट्या फंदे पर लटकने व दम घुटने के कारण मौत माना है। हालांकि अभी विस्तृत रिपोर्ट नहीं दी है। पीएम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। परिजन भी जेल प्रबंधन पर प्रताडऩा के आरोप लगाए हैं।
पुलिस व विभागीय जांच शुरू
मामले को लेकर पुलिस ने मर्ग कायम करते हुए जांच शुरू कर दी है। मौके से मिले तथ्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जा रहा। जेल प्रबंधन ने भी विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि कैदी रामकेश यादव के आत्महत्या की भी विभागीय जांच जारी है, जो करीब एक माह बाद भी अधूरी है।
मामले को लेकर पुलिस ने मर्ग कायम करते हुए जांच शुरू कर दी है। मौके से मिले तथ्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जा रहा। जेल प्रबंधन ने भी विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि कैदी रामकेश यादव के आत्महत्या की भी विभागीय जांच जारी है, जो करीब एक माह बाद भी अधूरी है।