पड़ोसी जिलों से आने वाले बाघों की सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग इनकी निगरानी गोपनीय तरीके से करता है। कई बार उन क्षेत्रों के ग्रामीणों को भी भनक नहीं लगी बाघ के पगमार्क पाए गए थे। वन विभाग के जानकारों के मुताबिक फरवरी के बाद जुलाई में जिले के जंगल में बाघ ने दस्तक दी थी। मैहर व उचेहरा रेंज में बाघ होने की खबर के बाद वन विभाग ने गश्त बढ़ाई थी।
जिले में बाघों के मूवमेंट वाले इलाकों में वन विभाग की ओर से एक सर्वे कराया है। बताया गया कि अप्रैल में कोलकाता से आए वाइल्ड लाइफ साइंटिस्ट अभिजीत सरकार ने पन्ना टाइगर रिजर्व से लगे जिले के जंगलों में बाघों के मूवमेंट पर सर्वे किया है। सरकार ने पन्ना रिजर्व के पी-२१२ बाघ के मूवमेंट की पूरी रिपोर्ट लेते हुए कॉरीडोर का विस्तृत अध्ययन किया है। बताया गया कि सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद वन विभाग बाघों के लिए कार्ययोजना को विस्तार देगा।
जिले के जंगल से जुड़ा यूपी के रानीपुर अभ्यारण्य में इसी साल कोलकाता से लाकर तीन बाघ छोड़े गए हैं। बाघों की बसाहट के लिए कोलकाता के विशेषज्ञों का एक दल वहां के जंगल व आसपास के गांवों में सर्वे भी कर चुका है। बताया गया कि अभ्यारण्य का विस्तार देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास है। प्रस्ताव स्वीकृत हो गया तो रानीपुर में बाघों की संख्या में इजाफा होगा। विशेषज्ञ बाघों के मूवमेंट का अध्ययन कर रहे हैं। अभी तक रानीपुर के बाघों ने जिले के जंगलों की ओर रुख नहीं किया है।