कृषि उपज मंडी सतना में अनाज की आवक साल-दर-साल कम क्यों हो रही है। इसकी पड़ताल के लिए शनिवार दोपहर 12 बजे से शाम छह बजे तक मंडी में पड़ताल में यह सामने आया कि मंडी पूरी तरह व्यापारियों के कब्जे में हैं। यहां वही होता है, जो व्यापारी चहते हैं। इसकी बानगी दोपहर डाक से शुरू हुई।
चबूतरों में डाक कराने का समय सुबह 10.30 बजे से है, लेकिन इस मंडी में व्यापारी दोपहर एक बजे चबूतरे में डाक बोलने पहुंचे। सुबह से व्यापारियों का इंतजार कर रहे किसानों के चेहरे तब मायूस हो गए जब उनकी उपज के भाव अनाज की गुणवत्ता नहीं चेहरा देख कर तय किए गए। व्यापारी कृषक की उपज 100 से 500 रुपए क्विंटल महंगी बिकी जबकी मूल किसानों की सस्ती।
शाम को हद तो तब हुई जब व्यापारियों के काउंटर से नगदी भुगतान लेकर लौटे किसानों ने यह बताया कि उड़द में प्रति क्विंटल 50 रुपए तथा गेहूं में 25 रुपए कमीशन काट कर भुगतान किया गया। जब पीडि़त किसानों से पूछा कि इसकी शिकायत क्यों नहीं करते तो एक ने बताया कि शिकायत करने पर व्यापारी देख लेने की धमकी देते हैं। दूसरी बार अनाज लेकर आने पर डाक नहीं बोलते इसलिए कोई किसान लुटने के बाद भी मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
मंडी प्रशासन की शह पर लूट
गल्ला व्यापारी मंडी प्रशासन की शहर पर न सिर्फ किसानों को लूट रहे बल्की बिना अनुबंध के अनाज खरीदकर मंडी के राजस्व को भी चपत लगा हरे हैं। दोपहर में व्यापारियों ने किसानों के धान का मूल्य 1350 रुपए क्विंटल बोले। कम भाव मिलने पर कई किसानों ने उपज देने से मना कर दिया तो डाक होने के बाद व्यापारी फिर सक्रिय हुए और शाम को वहीं उपज बिना अनुबंध कटाए 1480 से 1500 रुपए में खरीद ली। कुछ ऐसा ही दृश्य उड़द की डाक में देखने को मिला। शनिवार को मंडी में उड़द के भाव 4200 रुपए प्रति क्विंटल तक बोले गए लेकिन गांव से आए मूल किसानों की उड़द 3500 रुपए से अधिक में नहीं खरीदी। एक किसान की उड़द के भाव 1500 रुपए बोले तो किसान उपज बेचने से मना कर दिया। पीडि़त किसान ने बताया कि उससे घटिया उड़द 300 में खरीदी गई।
गल्ला व्यापारी मंडी प्रशासन की शहर पर न सिर्फ किसानों को लूट रहे बल्की बिना अनुबंध के अनाज खरीदकर मंडी के राजस्व को भी चपत लगा हरे हैं। दोपहर में व्यापारियों ने किसानों के धान का मूल्य 1350 रुपए क्विंटल बोले। कम भाव मिलने पर कई किसानों ने उपज देने से मना कर दिया तो डाक होने के बाद व्यापारी फिर सक्रिय हुए और शाम को वहीं उपज बिना अनुबंध कटाए 1480 से 1500 रुपए में खरीद ली। कुछ ऐसा ही दृश्य उड़द की डाक में देखने को मिला। शनिवार को मंडी में उड़द के भाव 4200 रुपए प्रति क्विंटल तक बोले गए लेकिन गांव से आए मूल किसानों की उड़द 3500 रुपए से अधिक में नहीं खरीदी। एक किसान की उड़द के भाव 1500 रुपए बोले तो किसान उपज बेचने से मना कर दिया। पीडि़त किसान ने बताया कि उससे घटिया उड़द 300 में खरीदी गई।
10 बार शिकायत फिर भी नहीं हुई डाक
मंडी में धान बेचने आए बरती गांव के किसान सुरेश रजक ने बताया कि वह शुक्रवार की दोपहर 12 बजे 10 बोरा धान लेकर मंडी आया था। लेकिन उस दिन धान की डाक ही नहीं हुई। उपज इसकी शिकायत पीडि़त किसान ने 10 बार मंडी सचिव से की लेकिन वह शाम तक धान की डाक नहीं करा पाए। मजबूरी में किसान को मंडी में ही रात गुजारनी पड़ी। पीडि़त किसान के मंडी में रतजगा करेन के बाद भी धान के भाव नहीं मिले। शनिवार को उसकी धान के भाव 1381 रुपए बोले गए। जबकी उससे खराब धान के दाम 1600 प्रति क्विंटल तक बिकी।
मंडी में धान बेचने आए बरती गांव के किसान सुरेश रजक ने बताया कि वह शुक्रवार की दोपहर 12 बजे 10 बोरा धान लेकर मंडी आया था। लेकिन उस दिन धान की डाक ही नहीं हुई। उपज इसकी शिकायत पीडि़त किसान ने 10 बार मंडी सचिव से की लेकिन वह शाम तक धान की डाक नहीं करा पाए। मजबूरी में किसान को मंडी में ही रात गुजारनी पड़ी। पीडि़त किसान के मंडी में रतजगा करेन के बाद भी धान के भाव नहीं मिले। शनिवार को उसकी धान के भाव 1381 रुपए बोले गए। जबकी उससे खराब धान के दाम 1600 प्रति क्विंटल तक बिकी।
आमने-सामने
मंडी किसानों की है, वहां व्यापारियों की मनमानी नहीं चलेगी। यदि किसानों की उपज के दाम सही नहीं बोले जा रहे तो इसकी जिम्मेदारी मंडी प्रशासन की है। मंडी में नगद भुगतान में कमीशन की कई शिकायतें मिल चुकी हैं। मैं मंडी प्रशासन को चेतावनी देता हूं, किसानों के साथ लूट बंद कराए, नहीं तो किसान यूनियन मंडी में तालाबंदी करेगा।
इंद्रजीत पाठक, जिलाध्यक्ष भाकियू
मंडी किसानों की है, वहां व्यापारियों की मनमानी नहीं चलेगी। यदि किसानों की उपज के दाम सही नहीं बोले जा रहे तो इसकी जिम्मेदारी मंडी प्रशासन की है। मंडी में नगद भुगतान में कमीशन की कई शिकायतें मिल चुकी हैं। मैं मंडी प्रशासन को चेतावनी देता हूं, किसानों के साथ लूट बंद कराए, नहीं तो किसान यूनियन मंडी में तालाबंदी करेगा।
इंद्रजीत पाठक, जिलाध्यक्ष भाकियू
जो किसान भाव कम मिलने या खरीद-बिक्री में मनमानी की शिकायत लेकर आते हैं उनकी समस्या का निदान तुरंत कराया जाता है। मंडी में नगद भुगतान के बदले किसानों से कमीशन काटने की जानकारी मुझे नहीं है। यदि ऐसा हो रहा है तो किसान बिना किसी डर के शिकायत करें, दोषी व्यापारी पर कार्रवाई की जाएगी।
आलोक वर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी सतना
आलोक वर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी सतना
मंडी में किसानों के साथ लूट मची है। शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती। व्यापारी किसानों का अनाज मिल कर खरीदते हैं। इसलिए अनाज के भाव कम मिल रहे हैं। सरकार किसानों का भला चाहती है तो उसे व्यापारियों की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए।
रघुवीर बागरी, किसान खम्हरिया कला
रघुवीर बागरी, किसान खम्हरिया कला
मंडी में अनाज के भाव सुन आंख से आंसू निकल आते हैं। मंडी में रात गुजारे के बाद भी उपज के भाव नहीं मिली। मेरी धान के भाव व्यापारियों ने 1381 रुपए बोले। जबकि गांव में व्यापारी 1500 में ले रहे थे। जब मंडी से अधिक गांव में भाव मिलेगा तो कोई अपनी उपज मंडी में क्यों देगा।
सुरेश रजक, कृषक बरती
सुरेश रजक, कृषक बरती
मंडी में अनाज की क्वालिटी नहीं किसानों का चेहरा देखकर उपज के भाव लगाए जाते हैं। मेरे अनाज से खराब माल 3000 में खरीदा, जबकि मेरी उड़द के भाव 1500 बोले गए। कर्मचारी से शिकायत की इसके बाद भी दोबारा डाक नहीं कराई गई। मंडी में अनाज खरीदी के नाम पर व्यापारी खुलेआम किसानों को लौटा रहे हैं, यह बंद होना चाहिए।
नंदराम त्रिपाठी, किसान भवर
नंदराम त्रिपाठी, किसान भवर