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सतना

ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन की लेटलतीफी का मामला पहुंचा PMO, जानिए मुख्य सचिव को क्या बोले मोदी

निर्माण प्रक्रिया में होने वाली बाधाओं को तत्काल प्रभाव से दूर करने कलेक्टर को निर्देश

सतनाJan 30, 2019 / 02:24 pm

suresh mishra

lalitpur singrauli railline pariyojana action of prime minister office

lalitpur singrauli railline pariyojana action of prime minister office

रमाशंकर शर्मा@सतना। ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन के छूटे हुए हिस्सों और सतना-रीवा रेल लाइन दोहरीकरण में जमीन उपलब्धता के कारण विलंबित हो रहे प्रोजेक्ट का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। प्रधानमंत्री की मासिक समीक्षा बैठक ‘प्रगति’ में रुकी हुई राष्ट्रीय महत्व की रेल परियोजनाएं जो केन्द्र और राज्य के समन्वय के अभाव में विलंबित हो रही है पर चर्चा की गई। इसमें मध्यप्रदेश की कई रेल परियोजनाओं के विलंब पर आपत्ति सामने आने के बाद आनन-फानन में रेल मंत्रालय सक्रिय हुआ और मुख्य सचिव को ऐसे मामले को पूरी गंभीरता से लेते हुए सभी हर्डल दूर करने की अपेक्षा की।
जिसका नतीजा यह हुआ कि प्रदेश के सभी कलेक्टरों को तत्काल प्रभाव से रेल परियोजनाओं में उनके स्तर पर हो रहे विलंब का तत्काल निराकरण करने के निर्देश दिए गए। इसमें सतना-रीवा रेल लाइन दोहरीकरण में बाधा बन रही कैमा स्थित बस्ती का मामला सामने आया है तो सतना-नागौद के बीच कुछ गांवों के भू-अर्जन का विलंब का मामला सामने आया है। अब इस मामले में कलेक्टर से अपेक्षा की गई है कि इन मामलों का निराकरण गंभीरता से करे। रेल परियोजना को देख रहे रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि सतना-रीवा रेल दोहरीकरण के लिये कैमा रेलवे स्टेशन के समीप रेलवे की जमीन में व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण हो चुका है। जबकि इस जमीन का अधिग्रहण सतना-रीवा रेल लाइन निर्माण के समय कर लिया गया था। लेकिन यहां अब पूरी बस्ती बस चुकी है और जिला प्रशासन को कई बार इस संबंध में लिखा जा चुका है लेकिन उनकी ओर से गंभीरता नहीं बरती जा रही है।
कहने को जिला प्रशासन के प्रतिनिधि यहां जाते हैं और घूम कर चले आते हैं। इस दौरान यह बताया जा रहा है कि रेलवे की अतिक्रमित जमीन के लोगों द्वारा व्यवस्थापन की बात की जा रही है। इस संबंध में निर्णय नहीं हो पा रहा है। इस वजह से रेलवे के प्रोजेक्ट को विलंब की स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में रेलवे के प्रतिनिधि कई बार कलेक्टर और एसडीएम से मुलाकात कर चुके हैं लेकिन किसी ठोस निर्णय के अभाव में परिणाममूलक कार्रवाई नहीं हो पा रही है साथ ही यहां राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक बाधा बन रहा है। बताया कि अब मुख्य सचिव की ओर से कलेक्टर को इस संबंध में पृथक से निर्देश दिए जा रहे हैं।
वन भूमि अधिग्रहण बड़ा मामला
बताया गया है कि सतना-नागौद के बीच का मामला तो हालांकि निपटारे के अंतिम चरण में हैं लेकिन सतना-पन्ना रेल खण्ड के किलोमीटर 60 और 70 के बीच पडऩे वाली ढाई सौ एकड़ की वन भूमि के अधिग्रहण का मामला विलंबित है। इस मामले का अगर निराकरण हो जाता है तो रेल लाइन का काम युद्ध स्तर पर शुरू हो सकेगा। वन भूमि का मामला शासन स्तर पर लंबित बताया गया है।
प्रस्ताव के बाद अवार्ड में विलंब
रेल अधिकारियों ने बताया कि इसी तरह से सतना-रीवा रेल लाइन दोहरीकरण में भू-अर्जन का प्रस्ताव सेक्शन 11 और 19 कलेक्टर को दिया जा चुका है। लेकिन इसके अवार्ड का निर्धारण नहीं हो सका है। बताया कि रघुराजन नगर के 2 गांव सकरिया और बिरहुली सहित रामपुर बाघेलान के 5 गांव मनकहरी, सतरी कोठार आदि की भू-अर्जन प्रक्रिया लंबित है। यहां अभी धारा 20, 21 और 23 का काम ही प्रारंभ नहीं हो सका है। अर्थात अभी तक जिला प्रशासन की ओर से स्थल निरीक्षण, नोटिस और अवार्ड की प्रक्रिया ही प्रारंभ नहीं हो सकी है। जबकि इस संबंध में अगस्त 2018में जिला प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है।
सतना-नागौद में अवार्ड विलंब
सतना और नागौद के बीच 34 गांवों में भू-अर्जन होना है। इसमें से 33 गांवों के अवार्ड हो चुके हैं एक गांव बम्हौर का अवार्ड अभी नहीं हो सका है। जबकि इस लाइन का काम तेजी से चल रहा है। इस मामले में कई बार जिला प्रशासन से कहा जा चुका है। लेकिन कुछ जमीन कारोबारियों और राजनीतिक दखल के कारण इसमें विलंब हो रहा है। हालांकि रेल अधिकारियों ने यह भी बताया कि यहां पर कुछ विलंब रेलवे की ओर से भी हुआ है। इन्होंने बताया कि रघुराजनगर तहसील के ६ गांवों के पूरक प्रस्ताव भी जिला प्रशासन को प्रस्तुत किए गए हैं इनमें खैरा, गिदुरी, बगहा, करही कोठार, करही पवाई और करही हरमल्ला शामिल हैं। इन पर भी तेजी से कार्य करने जिला प्रशासन से अपेक्षा की गई है।
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