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सतना

कृषि ऋण के नाम पर किसानों से लूट: 3.85 लाख रुपए लिया ऋण, 10.84 लाख चुका दिए, फिर भी कर्जदार

सरकार को करोड़ों की चपत

सतनाFeb 20, 2019 / 04:01 pm

suresh mishra

krishi rin ke naam par kisano se loot

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सतना। छिबौरा के किसान रामचरण ने 2006 में ट्रैक्टर खरीदने इलाहाबाद की चोरमारी शाखा से 3.85 लाख का ऋण लिया था। वे 12 वर्ष तक कर्ज चुकाते रहे। उनसे मूलधन का तीन गुना 10.84 लाख वसूली हुई। फिर भी किसान कर्ज मुक्त नहीं हो पाया। रामचरण की कर्ज चुकाते-चुकाते बीते साल मौत हो गई। अब पोते अमित को 1.20 लाख का कर्ज चुकाने का नोटिस जारी हुआ है।
यह कहानी सिर्फ अमित की ही नहीं। सरकारी व सहकारी बैंकों से खाद-बीज एवं कृषि उपकरण के लिए न्यूनतम ब्याज पर कर्ज लेने वाला प्रत्येक किसान बैंकों की अवैध वसूली से परेशान है। प्रदेश में हजारों ऐसे किसान हैं जिनसे बैंकों ने कृषि ऋण का तीनगुना वसूला है।
40 प्रतिशत कृषि ऋण फर्जी
भाकियू ने प्रदेश सरकार द्वारा माफ किए जा रहे कृषि ऋण की 40 प्रतिशत राशि को फर्जी बताया है। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश सिंह का कहना है, आरबीआई की स्पष्ट गाइडलाइन है कि कोई भी बैंक कृषि ऋण की मूलराशि से अधिक ब्याज किसानों से नहीं वसूल सकता। लेकिन, बैंकों ने आरबीआइ की गाइड लाइन व हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते किसानों के लिए गए कर्ज पर तीन से पांच गुना अधिक ब्याज लगाया।
दोगुने से अधिक कृषि कर्ज की वसूली नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन श्रीवास्तव ने कृषिलोन लेने वाले चंदर, भगवानदीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए 5 सितंबर 2007 को निर्णय दिया था कि बैंक कृषि लोन राशि के दोगुने से अधिक रािश की वसूली नहीं कर सकती। बैंकों को 10 फीसदी से अधिक रिकवरी चार्ज वसूलने का अधिकार नहीं है। यदि बैंक वसूली एजेंंसी द्वारा कराता है तो आपराधिक अभियोजन चलाया जाए।
आरबीआइ की यह थी गाइडलाइन
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 जुलाई 2006 को मास्टर सर्कुलर जारी करते हुए बैंकों को हिदयात दी थी कि वे ग्राहकों से मनमाना ब्याज नहीं वसूल सकते। बैंक प्रोसेसिंग शुल्क व अन्य शुल्कों को ऊपरी सीमा में शामिल करें। जारी सर्कुलर में आरबीआइ के स्पष्ट निर्देश थे कि किसी भी दशा में किसानों को दिए जाने वाले ऋण के मामले में ब्याज की रकम मूलधन से अधिक नहीं हो सकती।
केस-एक
जमुना गांव निवासी नागेंद्र सिंह ने किसान क्रेडिट कार्ड से दो लाख का कृषि ऋण 2009 में इलाहाबाद बैंक से लिया। 31 मार्च 2015 की स्थिति में लिया गया कर्ज छह साल में तीन गुना बढ़कर 6,14,252 हो गया।
केस-दो
रामपुर विखं के माड़ निवासी कृषक सुखेंद्र सिंह ने 2012 में इलाहाबाद बैंक से 2.50 लाख ऋण लिया था। 31 मार्च 2018 को 6,51,106 रुपए हो गया। जो मूलधन का 3 गुना है।

केस- तीन
कृषक बाबूलाल दाहिया ने 2015 में सोसायटी से खाद-बीज के लिए 10 हजार रुपए का कर्ज लिया था। तीन साल में बढ़कर 65 हजार हो गया। यह मूलधन से छह गुना अधिक है।

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