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साक्षात्कार: बागियों ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की मुश्किलें, चुनावी मैदान से पीछे हटने को तैयार नहीं

locationसतनाPublished: Nov 11, 2018 04:44:36 pm

Submitted by:

suresh mishra

दोनों पार्टियों से रूठे प्रत्याशी

Interview: bjp aur congress ke baaghi neta list in hindi

Interview: bjp aur congress ke baaghi neta list in hindi

1- डॉ रश्मि सिंह: भाजपा में कार्यकर्ता थी मेरा कोई नेता नहीं
– डॉ रश्मि सिंह, जिला पंचायत उपाध्यक्ष, भाजपा से बगावत कर निर्दलीय मैदान में

– पार्टी में नेता किसे मानती हैं?
भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी हैं। मैं कार्यकर्ता की हैसियत से काम करती रही। मेरा नेता कोई नहीं था।
– फॉर्म भरने के बाद पार्टी के किन-किन नेताओं ने संपर्क किया?
कई नेताओं ने संपर्क किया। लेकिन, मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती।

– नेता के कहने पर बैठ जाएंगी या चुनाव लड़ेंगी?
जब मेरा कोई नेता ही नहीं था, तो ये सवाल ही नहीं उठता। मेरे लिए जनता का निर्णय सर्वपरि है।
– क्या अधिकृत प्रत्याशी ने संपर्क किया?
नामांकन के दौरान आमना-सामना हुआ था, लेकिन नामांकन दाखिल करने के बाद कोई संपर्क नहीं किया गया।

– क्या गणित लेकर मैदान में उतरी हैं?
इसका जवाब जनता देगी। मेरे साथ हर वर्ग के लोग जुड़े हुए हैं। मैं किसी जाति विशेष का नेतृत्व नहीं करती। सभी को साथ लेकर चलती रही हूं।
– क्या पार्टी पर दबाव बनाने के लिए बागी बनी हैं?
मैं क्षेत्र में लगातार सक्रिय रही हूं, किसी भी व्यक्ति से पूछा जा सकता है। पार्टी पर दबाव बनाना उद्देश्य नहीं है। बल्कि जनता के कहने पर चुनाव लड़ रही हूं।
– जिन नेताओं के फोन आए, उनमें से किसी ने कोई ऑफर दिया या डराया-धमकाया?
न कोई ऑफर दिया, न ही डराया-धमकाया। नामांकन दाखिल न करूं, इसको लेकर चर्चा जरूर हुई।

2- रामोराम गुप्ता: वैश्य को टिकट क्यों नहीं दिया
– भाजपा के बागी रामोराम गुप्ता ने कहा कि वैश्य को टिकट नहीं दिया, इसलिए मैदान में हूं। भाजपा नेताओं की बातों में कोई वजन नहीं है।
– रामोराम गुप्ता, भाजपा के पूर्व प्रदेश कोषाध्यक्ष, भाजपा से बगावत करके सपाक्स से मैदान में
– पार्टी में नेता किसे मानते हैं?
मेरे लिए भाजपा ही नेता थी, मैं भाजपा को ही जानता हूं।

– क्या पार्टी पर दबाव बनाने के लिए बागी बने हैं?
मैं 65 को हो चुका हूं। ऐसी राजनीति से क्या फायदा? व्यापारी में योगेश ताम्रकर व ब्राह्मण में विनोद तिवारी के टिकट की मांग कर रहा था।
– अधिकृत प्रत्याशी ने संपर्क किया?
उन्होंने कोई संपर्क नहीं किया है। हालांकि वे संपर्क लायक ही नहीं हैं।

– किसी ने कोई ऑफर दिया या डराया-धमकाया?
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

– नेता के कहने पर बैठ जाएंगे या चुनाव लड़ेंगे?
अब नहीं बैठने वाला। 2008 में पार्टी नेताओं का कहा मानकर देख लिया।
– पार्टी के किन-किन नेताओं ने संपर्क किया?
नामांकन दाखिल कराने आए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने संपर्क किया था। मैं किसी की नहीं सुनने वाला हूं।

– क्या गणित लेकर मैदान में उतरे हैं?
सतना में 62 हजार वैश्य हैं। सिंधी, मुस्लिम मतदाता भी मेरे साथ हैं।

3- मनीष पटेल: अब तो मेरे पिताजी भी कहें, तो नहीं बैठूंगा
– गोंगपा से नामांकन दाखिल करने वाले मनीष की दो टूक
– मनीष पटेल, मैहर के पूर्व प्रत्याशी, कांग्रेस से बगावत कर गोगंपा से भरा पर्चा
– पार्टी में नेता किसे मानते हैं?
मैं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को अपना नेता मानता रहा हूं। उनके कहने पर ही बसपा से भी आया था।

– क्या पार्टी पर दबाव बनाने के लिए बागी बने हैं?
पार्टी को जब मुझपर भरोसा नहीं है, तो मैं दबाव क्या बनाऊंगा। मैं अपने समर्थकों व जनता के कहने पर चुनाव लड़ रहा हूं।
– जिन नेताओं के फोन आए, उनमें से किसी ने कोई ऑफर दिया या डराया-धमकाया?
न किसी ने संपर्क किया, न ही डराया-धमकाया।

– नेता के कहने पर बैठ जाएंगे या चुनाव लड़ेंगे?
अब बैठने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मेरे पिता जी भी कहें, तो भी मानने वाला नहीं हूं।
– फॉर्म भरने के बाद पार्टी के किन-किन नेताओं ने संपर्क किया?
मेरे से किसी भी नेता ने संपर्क नहीं किया है।

– क्या अधिकृत प्रत्याशी ने संपर्क किया?
पार्टी ने मैहर से श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दिया है। वे मेरे घर आए थे, लेकिन मैं बाहर था, मुलाकात नहीं हुई।
– क्या गणित लेकर मैदान में उतरे हैं?
मैं कांग्रेस से चुनाव लड़ा था, तो पार्टी का वोटबैंक बढ़ा था। अब पिछड़ा व एससी-एसटी वर्ग के लोग भी मेरे साथ हैं। मैं उन्हीं के दम पर मैदान में हूं।
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