भगवान शिव की पूजा
हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह यह तीज सुहागिनों का व्रत है। पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत सभी सुहागिनें निष्ठा के साथ रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता पार्वती ने किया था, जिसमें उन्होंने अन्न और जल तक ग्रहण नहीं किया था। इसलिए यह व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं। इसमें महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती और गणेशजी की पूजा की जाती है। कई कुंवारी कन्या भी यह व्रत करती हैं। यह व्रत निर्जला किया जाता है।
रतजगा करती हैं महिलाएं
महिलाएं एकत्रित होकर रतजगा करती हैं। रातभर भजन-कीर्तन करती हैं। व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिश्येष मंत्र का उच्चारण करते हुए संकल्प लिया जाता है। पूजा के लिए गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद आदि सामग्री लगती है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार हरितालिका तीज भाद्रपद यानी भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इस बार हरितालिका तीज का व्रत 12 सितंबर को है। 11 सितंबर को शाम 6 बजकर 4 मिनट से प्रारंभ तृतीय तिथि शुरू हुई, जो 12 सितंबर को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी। सुबह हरितालिका पूजा मुहूर्त 12 सितंबर की सुबह 6.15 बजे से सुबह 8.42 बजे तक है।
दिनभर बाजार में खरीदारी
मंगलवार को व्रत की तैयारियों को लेकर महिलाओं ने दिनभर खरीदारी की। शिव-पार्वती की मूर्ति के साथ-साथ पूजन सामग्री, मिठाई व फल की खरीदारी की गई। बाजार में व्रत को लेकर उत्साह देखने को मिला।