बताया गया कि द्वारिका पटेल के खेत के ऊपर से पावरग्रिड की तार गई है। एक लाख 80 हजार रुपए मुआवजा मिल चुका है। लेकिन उसका कहना है कि कुआं, मकान व पेड़ की राशि निर्धारित नहीं की गई। दूसरे किसान का कहना है कि कंपनी ने उसकी जमीन में टावर लगाकर महज 34 हजार रुपए बतौर मुआवजा दिया है, जबकि निर्धारण एक लाख 96 हजार रुपए का हुआ था। तीसरे किसान लोली यादव का कहना है कि जमीन के ऊपर से जबरन तार डाली जा रही है। इंदारा व खेत बर्बाद हो गया और मुआवजे में सिर्फ 3 हजार मिले। तीनों किसानों का कहना है कि उनकी फरियाद कहीं नहीं सुनी जा रही।
तीनों किसान सुबह से ही टॉवर पर चढ़कर नीचे कूदने की धमकी दे रहे थे। खबर लिखे जाने तक तीनों ऊपर ही चढ़े हैं पर मौके पर न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी और न ही पॉवरग्रिड कंपनी का कोई प्रतिनिधि किसानों से बात करने पहुंचा। शाम करीब 6 बजे रामनगर टीआइ सतीश मिश्रा बटइया पहुंचे और तीनों किसानों से हाथ जोड़कर नीचे उतर आने का आग्रह किया। टीआइ ने करीब एक घंटे तक ऊपर चढ़े किसानों को समझाया लेकिन वे नहीं माने। किसानों को नीचे नहीं उतरता देख टीआइ मिश्रा चले गए। टॉवर पर चढ़े किसानों का कहना है कि यदि नीचे उतरेंगे तो टीआइ थाने में बंद कर देंगे।
5 सितम्बर को बटइया में 70 फीट की उंचाई पर टावर पर चढ़े किसान द्वारिका पटेल का आरोप है कि पावरग्रिड के मैनेजर ने झूठा आश्वासन देकर नीचे उतारा था। किसान का कहना है कि मैनेजर ने लिखित में दिया था कि उसके कुआं, मकान व पेड़ों का मुआवजा दिए बगैर तार नहीं खींची जाएगी लेकिन अगले दिन से ही काम शुरू करा दिया। मुआवजा के लिए यहां-वहां भटका। जब कंपनी प्रबंधन ने नहीं सुनी तो मजबूरी में फिर से टावर पर चढऩा पड़ा।