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गुरु पूर्णिमा पर विशेष योग, मध्य रात्रि से होगा चंद्रग्रहण, 1870 में था ऐसा दुर्लभ योग

locationसतनाPublished: Jul 16, 2019 02:17:35 pm

Submitted by:

suresh mishra

आषाढ़ी पूर्णिमा 16 व 17 जुलाई की मध्यरात्रि को शुरू होगी। समाप्ति तक चंद्र ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा।

Chandra Grahan 2019: 1870 this special thing Chandra Grahan 16th july

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सतना। धार्मिक स्थलों में गुरुपूर्णिमा की तैयारी की जा चुकी है। चित्रकूट, मैहर, धारकुंडी सहित अन्य मंदिर व आश्रमों में भक्त पहुंंचने लगे हैं। सुबह ब्रह्म महूर्त में वे गुरु का आशीर्वाद व इसके बाद प्रसाद ग्रहण करेंगे। दोपहर 3 बजे के बाद चंद्र ग्रहण के चलते पूजा नहीं होगी। ज्योतिर्विद रामबहोर तिवारी ने बताया कि आषाढ़ी पूर्णिमा 16 व 17 जुलाई की मध्यरात्रि को शुरू होगी। समाप्ति तक चंद्र ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा। 2018 की गुरु पूर्णिमा भी चंद्र ग्रहण से ग्रसित थी। उस दिन शताब्दी का सर्वाधिक बड़ा चंद्र ग्रहण पड़ा था। तत्कालिक एवं वर्तमान ग्रह स्थितियों के साथ गुरु पूर्णिमा का चंद्र ग्रहण इसके पूर्व 1870 में देखा गया था।
विंध्य सहित समूचे देश में 16 जुलाई की रात 1.31 चंद्र ग्रहण शुरू होगा। शाम 6 बजे से 7.45 तक चंद्र उदय हो जाएगा। भारत के सभी नगरों में इस खंडग्रास चंद्रग्रहण का प्रारंभ मध्य तथा मोक्ष देखा जा सकेगा। 149 वर्ष पूर्व 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा के दिन ही इस वर्ष जैसी ग्रह स्थितियों में ग्रहण पड़ा था। शनि एवं केतु की युति तथा चंद्रमा का संचरण इनके साथ था। 2019 में कुल 3 ग्रहण का योग बन रहा है। इसमें से एक भारत में दृश्य नहीं था, दूसरा ग्रहण खंडग्रास चंद्रग्रहण के रूप में गुरु पूर्णिमा के दिन व तीसरा ग्रहण कंकण सूर्यग्रहण के रूप में 26 दिसंबर को भारत में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण से गुरु पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
ग्रहण काल में क्या करें और क्या न करें
ग्रहण काल में स्नानदान जप पाठ मंत्र सिद्धि तीर्थदर्शन व हवन आदि शुभ माना गया है। मूर्ति स्पर्श करना, खाना-पीना, निद्रा वर्जित है। ग्रहण के प्रारंभ में स्नान, मध्य में पूजन व मोक्षकाल में पुन: स्नान-दान किया जाना चाहिए। सूतक लगने से पूर्व ही खाद्य सामग्री में तुलसी दल व कुशा रख देना श्रेयस्कर है। इससे ग्रहण की किरणों का विकिरण प्रभावित नहीं करता। सूखे खाद्य पदार्थों में कुशा डालने की आवश्यकता नहीं है। ग्रहण के बाद मुद्रा, वस्त्र, अनाज, बर्तन व धातुओं के दान से दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। आंखों के रेटिना पर अल्ट्रावायलेट किरणें घातक असर डाल सकती हैं। अत: ग्रहण को नंगी आंखों से न देखें। इस दिन शुभ कार्य निषेध माने गए है। विद्या अध्ययन प्रारंभ नहीं करना चाहिए। गर्भस्थ शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानी बरतें। पेट पर गाय के गोबर का लेप लें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप उचित होता है।
ग्रहण का स्पर्श व मोक्ष समय
– स्पर्श 16, 17 जुलाई की मध्यरात्रि 1.31
– मध्य 17 जुलाई प्रात: काल 3.01 मिनट
– मोक्ष या समाप्ति 17 जुलाई प्रात: काल 4.30
– कुल अवधि 2 घंटे 59 मिनट।(पर्व काल)
– चंद्रकांति निर्मल 17 जुलाई प्रात: 5.49 मिनट
– सूतक 16 जुलाई को 04.31 बजे

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