बंद कमरे में बयान जांच के दौरान डीआइजी ने स्थानीय जेलकर्मियों व बंदियों से बंद कमरे में बयान लिए। मौके पर कथन लेखन का काम भी किया गया। उसके बाद वे जबलपुर रवाना हो गए। उनके जाने के दूसरे दिन जेल अधीक्षक को डीजी जेल ने भोपाल मुख्यालय तलब कर लिया। दूसरी ओर जेलर ने प्रभारी जेल अधीक्षक के रूप में बंदियों के अन्यत्र शिफ्ट करने का पत्र भोपाल मुख्यालय भेज दिया। इसमें उन कैदियों को निशाना बनाया गया जिन्होंने जेलर के खिलाफ बयान दे रखे हैं या फिर उनके खिलाफ शिकायत कर रखी है।
इन कैदियों के नाम का प्रस्ताव
सतना केंद्रीय जेल से 14 जून को भेजे गए पत्र में 7 कैदियों के नाम का उल्लेख है। इसमें सबसे पहले कैदी मंगल सिंह पिता हल्के सिंह का नाम है। इसने डीआइजी के सामने जेलर पर कई गंभीर आरोप लगाए और बयान दर्ज कराए हैं। सतीश पिता गिरिजा पटेल ने भी डीआइजी के समक्ष बयान दर्ज कराए हैं। कैदी रामलखन पिता रघुवर, ज्ञानेश्वर पिता रामस्वरूप, अरविंद सिंह पिता आत्माराम, बिहारी पटेल पिता वृंदावन के नाम का प्रस्ताव भेजा गया। इन सभी ने विगत छह माह के दौरान जेल की समस्याओं को लेकर शिकायत कर रखी है। इसी तरह विचाराधीन बंदी जीतेंद्र पिता सवाईलाल सिंह के नाम का प्रस्ताव भी भेजा गया है।
दबाव बनाने का खेल
इस पत्र के बाद जेल विभाग में चर्चा है कि अधिकारी जांच से बौखलाएं हुए हैं। कैदी व जेलकर्मी अपने बयान बदल दें लिहाजा दबाव का खेल खेला जा रहा। जेल अधीक्षक की अनुपस्थिति में जेलकर्मियों के ट्रांसफर व बंदियों के अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा गया है। जो गंभीर सवाल खड़ा करता है।
डीजी-डीआइजी पर भी सवाल
केंद्रीय जेल में डेढ़ माह के दौरान तीन कैदियों की मौत हो चुकी है। इनमें दो कैदियों ने आत्महत्या की, जो सुरक्षा मापदंडों पर गंभीर सवाल था। एक कैदी को जेलर ने दो दिन के लिए रिहा कर दिया, कोर्ट में गलती स्वीकार की। जेलर के निजी निवास पर कैदियों को भेजा गया, जो रहवासी क्षेत्र में था। कैदियों व बंदियों ने शिकायतें कीं। ऐसी तमाम गंभीर लापरवाही केंद्रीय जेल सतना में हो चुकी हंै। उसके बाद भी डीजी संजय चौधरी व डीआइजी गोपाल ताम्रकार चुप्पी साधे हुए हैं। आलम यह रहा कि तीन कैदियों की मौत के बाद जांच शुरू हुई। ऐसी लेटलतीफी के चलते वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जेल विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि अभी तक व्यवस्था में बदलाव हो जाना चाहिए था। जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर बड़ी कार्रवाई तक हो जानी चाहिए। लेकिन, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
केंद्रीय जेल में डेढ़ माह के दौरान तीन कैदियों की मौत हो चुकी है। इनमें दो कैदियों ने आत्महत्या की, जो सुरक्षा मापदंडों पर गंभीर सवाल था। एक कैदी को जेलर ने दो दिन के लिए रिहा कर दिया, कोर्ट में गलती स्वीकार की। जेलर के निजी निवास पर कैदियों को भेजा गया, जो रहवासी क्षेत्र में था। कैदियों व बंदियों ने शिकायतें कीं। ऐसी तमाम गंभीर लापरवाही केंद्रीय जेल सतना में हो चुकी हंै। उसके बाद भी डीजी संजय चौधरी व डीआइजी गोपाल ताम्रकार चुप्पी साधे हुए हैं। आलम यह रहा कि तीन कैदियों की मौत के बाद जांच शुरू हुई। ऐसी लेटलतीफी के चलते वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जेल विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि अभी तक व्यवस्था में बदलाव हो जाना चाहिए था। जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर बड़ी कार्रवाई तक हो जानी चाहिए। लेकिन, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।