इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ रहा है। कमीशन के फेर में एंटी बायोटिक दवाइयों के बढ़ते बाजार और पीडि़तों पर असर के चलते ड्रग्स टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड ने एंटी बायोटिक दवाइयों को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है। विशेषज्ञ चिकित्सक भी एंटी बायोटिक दवाओं के बेजा उपयोग पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
एंटीबायोटिक क्या है
एंटीबायोटिक्स को एंटीबैक्टीरियल भी कहा जाता है। जब शरीर में मौजूद व्हाइट सेल्स जीवाणु को खत्म नहीं कर पाते हैं तब एंटीबायोटिक दवा के जरिए प्रतिरोधी जीवाणु शरीर में भेजे जाते हैं। ये दवाइयां संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को समाप्त करने के लिए दी जाती हैं। यदि इन्हें उचित तरीके से लिया जाए तो जीवन को बचाया जा सकता है। पर यह हर बीमारी के लिए कारगर नहीं हैं।
एंटीबायोटिक्स को एंटीबैक्टीरियल भी कहा जाता है। जब शरीर में मौजूद व्हाइट सेल्स जीवाणु को खत्म नहीं कर पाते हैं तब एंटीबायोटिक दवा के जरिए प्रतिरोधी जीवाणु शरीर में भेजे जाते हैं। ये दवाइयां संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को समाप्त करने के लिए दी जाती हैं। यदि इन्हें उचित तरीके से लिया जाए तो जीवन को बचाया जा सकता है। पर यह हर बीमारी के लिए कारगर नहीं हैं।
खतरे की मुख्य वजह
1. विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो दवा दुकानों में दो से तीन साल पहले तक 200 एमजी की एंटीबायोटिक दवा की बिक्री होती थी लेकिन अब 500 से 625 एमजी तक की एंटीबायोटिक उपलब्ध है।
2. शहर के अस्पतालों में ग्रामीण अंचल से रोजाना औसतन 5 से 10 मरीज आ रहे हैं जिनकी बीमारी एंटी बायोटिक के बेजा उपयोग से बिगड़ रही है।
3. डीटीएबी ने हाल ही में 343 फिक्सड डोज कॉम्बीनेशन एफडीसी दवाइयों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
1. विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो दवा दुकानों में दो से तीन साल पहले तक 200 एमजी की एंटीबायोटिक दवा की बिक्री होती थी लेकिन अब 500 से 625 एमजी तक की एंटीबायोटिक उपलब्ध है।
2. शहर के अस्पतालों में ग्रामीण अंचल से रोजाना औसतन 5 से 10 मरीज आ रहे हैं जिनकी बीमारी एंटी बायोटिक के बेजा उपयोग से बिगड़ रही है।
3. डीटीएबी ने हाल ही में 343 फिक्सड डोज कॉम्बीनेशन एफडीसी दवाइयों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
हकीकत
– 100 से अधिक दवा दुकान शहर में
– 25 से 30 करोड़ रुपए का दवा कारोबार प्रतिमाह
– 10 से 12 करोड़ रुपए सिर्फ एंटी बायोटिक दवा
– 1 से 90 रुपए तक की एक एंटी बायोटिक गोली
– 50 से 60 फीसदी कमीशन एंटी बायोटिक दवाइयों में
– 10 से 15 फीसदी मामले वायरल बुखार के बिगड़ रहे
– (चिकित्सा और दवा व्यापारियों के अनुसार)
– 100 से अधिक दवा दुकान शहर में
– 25 से 30 करोड़ रुपए का दवा कारोबार प्रतिमाह
– 10 से 12 करोड़ रुपए सिर्फ एंटी बायोटिक दवा
– 1 से 90 रुपए तक की एक एंटी बायोटिक गोली
– 50 से 60 फीसदी कमीशन एंटी बायोटिक दवाइयों में
– 10 से 15 फीसदी मामले वायरल बुखार के बिगड़ रहे
– (चिकित्सा और दवा व्यापारियों के अनुसार)
ये सावधानी जरुरी
1. लोगों में दवाइयों को लेकर जागरुकता जरुरी। अपनी मर्जी से दवा का सेवन न करें, चिकित्सक से परामर्श ले।
2. चिकित्सक मरीजों को प्रिस्क्रप्शन में दवाइयों की विस्तृत जानकारी दें।
3. चिकित्सक के पर्चे के बगैर एंटी बायोटिक दवाइयां न दी जाएं।
1. लोगों में दवाइयों को लेकर जागरुकता जरुरी। अपनी मर्जी से दवा का सेवन न करें, चिकित्सक से परामर्श ले।
2. चिकित्सक मरीजों को प्रिस्क्रप्शन में दवाइयों की विस्तृत जानकारी दें।
3. चिकित्सक के पर्चे के बगैर एंटी बायोटिक दवाइयां न दी जाएं।
एंटी बायोटिक दवा का दुष्प्रभाव (डब्ल्यूएचओ के अनुसार )
1. एंटी बायोटिक दवाइयों का उपयोग इसी तरह जारी रहा तो 2025 तक एक करोड़ लोगों की हर साल मौत होने लगेगी
2. 7 लाख लोगों की हर साल एंटी बायोटिक दवाईयों के बेअसर होने से मौत
3. एंटी बायोटिक दवाइयों की खपत में बीत वर्षो में 40 फीसदी का इजाफा हुआ जो दुनिया में सर्वाधिक है।
4. 4.5 लाख के लगभग टीबी मरीज इन पर अब एंटी बायोटिक दवा का असर समाप्त हो चुका है।
1. एंटी बायोटिक दवाइयों का उपयोग इसी तरह जारी रहा तो 2025 तक एक करोड़ लोगों की हर साल मौत होने लगेगी
2. 7 लाख लोगों की हर साल एंटी बायोटिक दवाईयों के बेअसर होने से मौत
3. एंटी बायोटिक दवाइयों की खपत में बीत वर्षो में 40 फीसदी का इजाफा हुआ जो दुनिया में सर्वाधिक है।
4. 4.5 लाख के लगभग टीबी मरीज इन पर अब एंटी बायोटिक दवा का असर समाप्त हो चुका है।
जिले में बुखार की स्थिति
– 70 से 80 फीसदी मरीज वायरल/डेंगू के
– 05 से 10 फीसदी बैक्टीरियल मर्ज
– 05 से 10 फीसदी को मलेरिया बीमारी की पहचान के बाद ही पीडि़त को दवाइयों दी जानी चाहिए। एंटीबायोटिक दवाइयों का हाइ डोज पीडि़त की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। इससे तकलीफ और जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ एमएस तोमर, दमा व क्षय रोग विशेषज्ञ
– 70 से 80 फीसदी मरीज वायरल/डेंगू के
– 05 से 10 फीसदी बैक्टीरियल मर्ज
– 05 से 10 फीसदी को मलेरिया बीमारी की पहचान के बाद ही पीडि़त को दवाइयों दी जानी चाहिए। एंटीबायोटिक दवाइयों का हाइ डोज पीडि़त की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। इससे तकलीफ और जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ एमएस तोमर, दमा व क्षय रोग विशेषज्ञ