उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले आैर उत्तराखंड के रुड़की तहसील क्षेत्र में जरीली शराब पीने से 100 से अधिक लाेगाें की माैत के बाद उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड में हड़कंप मच गया था। इतनी बड़ी संख्या में लाेगाें की हालत बिगड़ी कि राेगियाें के लिए अस्पतालाें में बेड आैर मरने वालाें के लिए माेर्चरी में जगह नहीं बची नहीं थी। इतनी बड़ी संख्या में लाेगाें की माैत हाेने की इस घटना पर शासन ने देवबंद सीआे सिदार्थ काे सस्पेंड कर दिया था। नागल थाना प्रभारी समेत 10 पुसिसकर्मियाें काे सस्पेंड करते हुए जिला आबकारी अधिकारी आैर आबकारी विभाग के ही तीन इंस्पेक्टर आैर दाे पुलिसकर्मियाें काे भी सस्पेंड कर दिया था।
इस पूरी घटना की जांच आैर पीछे के कारणाें के साथ-साथ लापरवाही का पता लगाने के लिए शासन ने एसआईटी (विशेष अनुसंधान दल) गठित किया था। इस दल के मुखिया एडीजी रेलवे संजय सिंघल गुरुवार काे सहारनपुर पहुंचे आैर एसआईटी के सदस्य सहारनपुर मंडलायुक्त सीपी त्रिपाठी आैर डीआईजी शरद सचान के साथ उमाही गांव पहुंचे। उमाही गांव में 14 लाेगाें की शराब पीने से माैत हुई हैं।
यहां एसआईटी ने इन सभी मृतकाें के परिवार वालाें से बात की उनकी शिकायतें सुनने का साथ-साथ बयान दर्ज किए। नागल थाना क्षेत्र के गांव उमाही से एसआईटी टीम प्राथमिक विद्याल में रुकी। इसके बाद टीम शरबतपुर पहुंची। यहां टीम ने फिराहेड़ी के प्रधान नवीन त्यागी, छाछरेकी के ग्रामीण राकेश कुमार, शरबतपुर के प्रधान कुलदीप समेत यहां शराब पीकर मरने वाले लाेगाें के परिवार वालाें के बयान दर्ज किए। यहां अधिकांश ग्रामीणाें ने यहीं जानकारी दी कि, गांव के लाेगाें ने पड़ाेसी राज्य उत्तराखंड के गांव बालूपुर में जाकर शराब पी थी।
राताे-रात तैयार किए गए बयानवीर क्षेत्र में एेसी चर्चाएं है कि पुलिस ने राताे-रात बयानवीर तैयार किए हैं। एसआईटी के अध्यक्ष एडीजी रेलवे संजय सिंघल के सहारनपुर पहुंचने की खबर मिलते ही स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने ग्रामीणाें से बातचीत शुरु कर दी थी। चर्चाएं ताे यह भी हैं कि रात में ही स्थानीय पुलिस प्रशासन की टीमें गांव पहुंच गई थी आैर ग्रामीणाें काे समझा दिया गया था कि उन्हे एसआईटी टीम काे क्या बयान देना है। एसआईटी टीम काेलकी गांव नहीं पहुंची। काेलकी गांव के काफी लाेगाें की माैत जहरीली शराब पीने से हुई थी लेकिन टीम इस गांव में ना जाकर शरबतपुर गांव पहुंची। यानि टीम वहीं गई जहां स्थानीय अफसर टीम काे लेकर गए। एेसे में साफ है कि कहीं न कहीं स्थानीय अफसराें काे अब अपनी गर्दन पर तलवार लटकती हुई दिख रही है आैर अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्हाेंने यह मैनेजमेंट किया है।