दवा कंपनी में काम करता था अर्जुन जहरीली शराब कांड का मुख्य आराेपी अर्जुन हरिद्वार के तेजपुर गांव का रहने वाला है जाे दवा कंपनी में काम करता था। दाे साल पहले इसने कंपनी छाेड़ दी थी। अर्जुन काे केमिकल के बारे में पता था आैर इसने इस केमिकल से शराब बनाने की याेजना बनाई। अर्जुन ने बताया कि वह पिछले करीब दाे साल से यही काम कर रहा था।
कैप्सूल के उपर डाला जाता है यह केमिकल अभी तक मिली जानकारी के अनुसार यह पता चला कि जिस केमिकल से यह शराब बनाई गई थी। इस शराब का नाम आईस्ट्राे प्राेफाईल अल्काेहल है। यह केमिकल कैप्सूल के ऊपर लगाया जाता है। अर्जुन ने अपने साथियाें काे बताया था कि इस केमिकल से रेक्टीफाईड शराब तैयार की जा सकती है।
जानिए प्राईवेट लिमिटेड कंपनी से कैसे लिया केमिकल एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि यूपी आैर उत्तराखंड पुलिस के संयुक्त अॉपरेशन में अर्जुन काे गिरफ्तार किया गया है। इसने बताया कि जब यह कंपनी में केमिकल लेने गया ताे कंपनी ने जीएसटी नंबर ही केमकिल देने की बात कही। अर्जुन के पास जीएसटी नंबर नहीं था फिर इसने अपने दाेस्त रुड़की के माेहल्ला गांधीनगर निवासी मनाेज सिंह काे तैयार किया। मनाेज सिंह के जीएसटी नंबर पर अर्जुन ने छह ड्रम केमिकल खरीद लिया।
एेसे बनी रेक्टीफाईड शराब अर्जुन ने पुलिस काे बताया कि जाे छह ड्रम केमिकल खरीदा गया था उसमें से तीन ड्रम लाडी व हरेदव सिंह काे बेच दिए थे। दाे ड्रम टिंकू उर्फ पहल सिंह निवासी निवासी नागल काे दे दिए थे आैर एक ड्रम अर्जुन ने अपने पास रख लिया था। लाडी व हरदेव सिंह ने इस केमिकल से 50 लीटर शराब बनाई। यही वह शराब थी जिसका रंग दूधिया हाे गया था। इसी शराब काे बाद में लाडी व हरदेव ने उत्तराखंड के गांव बालूपुर निवासी साेनू काे बेच दी। साेनू करीब 35 बाेतल खरीद लाया था। बाकी शराब काे लाडी व हरदेव ने गागलहेड़ी व नागल क्षेत्र में बेच दिया। इस तरह इस शराब काे पीकर 100 से अधिक लाेग मर गए। हरदेव आैर लाड्डी समेत साेनू काे पुलिस ने साेमवार काे ही गिरफ्तार कर लिया था। इन्हाेंने ही पुलिस काे बताया था कि इन्हाेंने शराब अर्जुन से ली थी।
ताे पुलिस कार्रवाई ने बचा ली कई जानें पुलिस ने मंगलवार काे अर्जुन काे गिरफ्तार करने के साथ-साथ 3 ड्रम केमिकल भी बरामद कर लिया है। यह तीन ड्रम केमिकल कई लाेगाें की जान के लिए घातक साबित हाे सकता था। अभी पुलिस अर्जुन के साथी सुभाष मास्टर आैर सुशील चाैधरी के अलावा इलम व फिराेज के नाम भी बताए हैं। पुलिस अब इन नामाें काे तस्दीक करने के साथ-साथ इनकी गिरफ्तारी के भी प्रयास कर ही है।
आखिर कहां रही बड़ी चूक अभी तक इस मामले में यूपी की सहारनपुर आैर उत्तराखंड की हरिद्वार पुलिस का फेलियर सामने आ रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर एक कंपनी से फर्जी बिल पर केमिकल बाहर कैसे आया ? दूसरा बड़ा सवाल यह है कि इस केमिकल काे दाे बार बॉर्डर कैसे पार कराया गया। यह केमिकल पहले बॉर्डर बार करके उत्तराखंड से यूपी में लाया जाता है आैर फिर केमकिल में पानी मिलाकर इसे बाेतलाें में भरकर एक बार फिर से यूपी से उत्तराखंड ले जाता है। इन सभी सवालाें के जवाब के यही हैं कि अगर कंपनी से फर्जी बिल पर केमिकल बाहर ना निकलता आैर पुलिस सजगता के साथ इस केमिकल की ट्रैवलिंग के साथ-साथ इसकी गैर कानूनी ढंग से हाे रही बिक्री का पता लगा लेती ताे आज 100 से अधिक परिवाराें में मातम ना मनता।