ये हुई थी घटना महाराणा प्रताप जयंती पर राजपूत आैर दलित समाज आमने-सामने आ गया था। विवाद डीजे बजाने काे लेकर हुआ था। राजपूत समाज के लाेग जब दलित बस्ती से डीजे बजाते हुए निकल रहे थे ताे डीजे का विराेध दलित समाज के लाेगाें ने किया था आैर इसी बात काे लेकर दाेनाें पक्ष आमने-सामने आ गये थे। यहां मारपीट आैर पथराव के बाद आगजनी हाे गई थी आैर शब्बीरपुर में भड़की जातीय हिंसा की आग की लपटें पूरे जिले में फैल गई थी। इस घटना के बाद शासन ने डीएम आैर एसएसपी काे हटा दिया था आैर जातीय हिंसा की आग में जल रहे सहारनपुर की कमान आईएस पीके पांडेय आैर आईपीएस बबलू कुमार काे साैंपी गई थी। पीके पांडेय काे सहारनपुर का जिलाधिकारी आैर बबलू कुमार काे सहारनपुर का एसएसपी नियुक्त किया गया था। उस समय दाेनाें अफसराें ने दलित समाज के कई युवकाें के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जातीय हिंसा भड़काने के आराेप में जेल की सलाखाें के पीछे पहुंचाया था आैर राजपूत युवकाें के खिलाफ भी रासुका की कार्रवाई की गई थी। राजपूत समाज के जेल में बंद तीनाें युवकाें पर लगाई गई रासुका के खिलाफ इनके परिवार के लाेग हाईकाेर्ट इलाहाबाद गए थे आैर लगातार इस मामले में पैरवरी कर रहे थे। इस मामले की हाईकाेर्ट तक पैरवी कर रहे राजपूत समाज के युवकाें के अधिवक्ता चंद्रहास पुंडीर ने के मुताबिक हाईकाेर्ट ने रासुका काे खारिज कर दिया है।