scriptइच्छा की पूर्ति के लिए पुण्य की योग्यता जरूरी,आर्यिका पूर्णमति | Virtue of virtue needed to fulfill the desire, the Aryika fulfillment | Patrika News

इच्छा की पूर्ति के लिए पुण्य की योग्यता जरूरी,आर्यिका पूर्णमति

locationसागरPublished: Apr 24, 2019 12:47:47 am

Submitted by:

vishnu soni

गुरू मंगलधाम में आत्मबोध शिविर

Virtue of virtue needed to fulfill the desire, the Aryika fulfillment

इच्छा की पूर्ति के लिए पुण्य की योग्यता जरूरी,आर्यिका पूर्णमति

बंडा. गुरू मंगलधाम में आयोजित आत्मबोध शिविर को संबोधित करते हुए आर्यिकार पूर्णमति माताजी ने कहा की व्यक्ति की अनादि से अब तक की सारी चाहत को लिखा जाए तो सारी वसुंधरा भर जाएगी, लेकिन चाहत को पूरी लिख नहीं पाओगे। जब जब भी तुम्हारे मन को अच्छा लगा, पाने को मचल गए । यह भी नहीं सोचा कि इसे पाने योग्य तुम्हारे पास पुण्य की योग्यता है भी या नहीं। योग्यता हासिल किए बिना ही उस चाहत में तुम अनंतों बार दुखी हुए। उन पदार्थों के विरह में परेशान हुए। उसे पाने के लिए न जाने क्या क्या षड्यंत्र किए, मगर तुम सफल नहीं हुए, तो आखिर हारकर तुमने कितनों को दोषी ठहरा दिया, लेकिन अपने कर्मों को, अपनी पुरूषार्थ हीनता को दोषी नहीं ठहराया। तुम्हें अपने दोष तो दिखे ही नहीं और पर को दोषारोपण की पुरानी आदत तुम्हारी गई नहीं। चाहत की वस्तु न मिलने पर अन्य को दोषी ठहराने से आखिर क्या मिला।
आर्यिकाश्री ने कहा कि इच्छा से जब कुछ न होता, फिर क्यों कष्ट उठाते हो। सब अनर्थ की जड़ है। इच्छा, समझ नहीं क्यों पाते हो। ज्ञानानंद घातने वाली, इच्छाएँ ही विपदा हैं। निस्तरंग आनंद सरोवर, निज में शाश्वत सुखदा है। तो फिर अनर्थ की जड़। इस चाह को पीछा ही क्यों करते हो। यह चाह अपने आप तो उत्पन्न होती नही। तुम्हारे स्वत: के अस्तित्व में ही तो उत्पन्न होती है। तुम्हारे भीतर चाह को उत्पन्न करने वाला कोई भूत-प्रेत नहीं, तुम्हारी ही मोह माया है। दिन में खुली आँखों से चाहा, रात में मूँदी आँखों से चाहा, चाह हरपल जगाती रही। चाह की परिभाषा ही यही है कि वह सदा अधूरी रहती है। पूरी होती ही नहीं। चाहत के गर्त में चाहे कितने ही पदार्थ डाल दो वह गर्त कभी भरता नहीं। प्रवचन के पूर्व पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन पाठशाला की ब्रम्हचारिणी सारिका दीदी, ब्रम्हचारिणी गरिमा दीदी, मिनी जैन, जूही, अंकिता, पलक आदि ने शास्त्र भेंट कर आर्यिका संघ से आशीर्वाद लिया। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण करने का परम सौभाग्य बड़ी बजरिया बीना की आचार्य विद्यासागर पाठशाला की बहन शैली जैन, नेहा जैन, सुनीता जैन, अल्का जैन, संगीता जैन, वंदना जैन, सपना जैन आदि ने प्राप्त किया। ज्ञानदीप का प्रज्जवलन बाहर से आए शिविरार्थियों ने किया। प्रवचन सभा का संचालन ब्रम्हचारी नीलेश पटारी, प्रमोद पटवारी एवं सहयोग अशोक शाकाहार ने किया।

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