जनता के पैसों की बर्वादी
निगम के अपात्र अधिकारी खुद को कार्य के लिए वाहन की आवश्यकता बताकर यह सुविधा लगातार हासिल कर रहे हैं। निगम के कार्य के अलावा ये अधिकारी अपने वाहनों से ही घर और दफ्तर आने-जाने के साथ परिवार का पूरा कामकाज निपटा रहे हैं। अधिकारियों के वाहनों का खर्च शासन से नहीं बल्कि शहर की जनता से जो करों के रूप में राशि मिलती है उससे चुकाया जा रहा है। नियमानुसार निगम में महापौर, निगमाध्यक्ष, निगमायुक्त और कार्यपालन यंत्री को ही वाहन की पात्रता है।
सब साधे हैं चुप्पी
वाहनों के रूप में कई सालों से चले आ रहे फर्जीवाड़े पर निगम के सभी नेता और अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। अफसरों की दलील है कि कुछ काम ऐसे होते हैं कि विभाग प्रमुखों को वाहन उपलब्ध कराना पड़ता है। यही वह वजह जिसका निगम के लगभग सभी विभाग प्रमुख फायदा उठाने में लगे हुए हैं।
फैक्ट फाइल
– 4 जनप्रतिनिधि व अफसरों को ही है चार पहिया वाहन की पात्रता
– 10 लोग निगम में उठा रहे वाहन की सुविधा का लाभ
– 2 वाहन ही हैं निगम प्रशासन के पास
– 8 वाहन किराए पर लगाकर करा रहे उपलब्ध