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शांत सागर में रही मुकम्मल बंद की हलचल

locationसागरPublished: Sep 07, 2018 02:02:41 am

सपाक्स का संकल्प: आरक्षित सीटों पर नहीं करेंगे वोट, हजारों की तादात में सड़क पर उतरे, भाजपा सरकार के खिलाफ की नारेबाजी।

sagar market closes

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सागर. एट्रोसिटी एक्ट (शिकायत पर बिना जांच के गिरफ्तार करना और जमानत न मिलना) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए संशोधन को केंद्र सरकार द्वारा रद्द किए जाने का विरोध गुरुवार को सड़कों पर नजर आया।
सुबह से ही पूरे जिले में आह्वान का असर देखने को मिला। आम और खास बाजारों की दुकानों की शटरें सुबह से ही बंद रहीं, जिनमें सायं चार बजे तक ताले ही लटके नजर आए। निजी स्कूल, पेट्रोल पंप भी बंद रहे। इस बीच पूर्वाह्न ग्यारह बजे से विभिन्न तबके के लोग सिविल लाइन्स में एकत्र हुए। यहां नागरिकों ने शांतिपूर्ण तरीके से मानवश्रृंखला बनाकर अपना विरोध जताया और रैली के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। शहर के अन्य बाजार तो बंद रहे, लेकिन सदर बाजार में बंद समर्थकों व पुलिस के बीच हल्कीझड़प हुई, तो जबलपुर हाइवे पर जाम की सूचना पर भारी पुलिस बल पहुंच गया, लेकिन जाम जैसा यहां कुछ नहीं मिला। बंद के दौरान जहां पुलिस व प्रशासन एलर्ट रहा तो बंद समर्थक भी युवाओं को शांति रखने की ताकीद देते नजर आए।
सपाक्स के देश बंद होने के आह्वान पर गुरुवार को सुबह ११ बजे देखते हुए ही देखते सिविल लाइन चौराहे पर हजारों लोग विरोध का समर्थन करने एकत्रित हो गए। लोगों ने पहले सिविल लाइन चौराहे पर विरोध प्रदर्शन किया यहां पर स्पष्ट रूप से भाजपा के विरोध में लोगों का रुख नजर आया। लोगों ने केंद्र व प्रदेश भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बंद को लेकर लगाई गई धारा १४४ के बाद विशेष अनुमति पर लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस की मौजूदगी में राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए कलेक्टे्रट तक पैदल मार्च निकाला। कलेक्ट्रेट परिसर में करीब आधे घंटे तक आंदोलनकारी नारेबाजी करते रहे। इस बीच भारी पुलिस बल की मौजूदगी में उनके बीच पहुंचे कलेक्टर अलोक कुमार सिंह ने ज्ञापन लिया। जिले भर में छुटपुट विवादों के अलावा बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण और प्रभावी रहा।
विरोध में जलाई होली
बम्हौरी में भी केंद्र व प्रदेश भाजपा सरकार के विरोध में ग्रामीणों का गुस्सा सड़क पर नजर आया। एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन की बहुत ज्यादा जानकारी न होने के बावजूद बंद के समर्थन में ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए सड़क पर टायर और लकडि़यों की होली जलाई। करीब घंटे भर तक सड़क पर जमे रहे। इस दौरान सिविल लाइन थाने से पहुंचे पुलिस बल ने समझा-बुझा कर उन्हें शांत कराया।
सदर में पुलिस से हुई हल्की बहस
ज्ञापन सौंपने के बाद भी युवाओं की टोली कलेक्ट्रेट से वाहन रैली के रूप में शहर में निकल पड़े। गोपालगंज, तीनबत्ती, कटरा बाजार होते हुए रैली भगवानगंज- सदर क्षेत्र में पहुंची। यहां पर कुछ खुली दुकानों को बंद करने की अपील के दौरान पुलिस ने रोकटोक की तो उनमें बहस हो गई। इस दौरान पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों के वाहनों की हवा भी निकाल दी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों में बहस बढ़ते-बढ़ते झूमाझटकी तक पहुंच गई, तो मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बीच में आकर स्थिति को सामान्य किया।

निवेदन रैली निकाली, सिविल लाइन में बनाई मानव शृंखला
बंद को लेकर सपाक्स के जिलाध्यक्ष कपिल स्वामी के नेतृत्व में सुबह 7 बजे निवेदन यात्रा निकाली गई, जिसमें सभी प्रतिष्ठान मालिकों, व्यापारियों से करबद्ध निवेदन कर अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद कर समर्थन का अनुरोध किया। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से टोलियों के रूप सिविल लाइन चौराहे पर एकत्रित हुए, जहां मानव शृंखला बनाई। इस दौरान पिछड़ा वर्ग संघ, ब्राह्मण समाज, जैन समाज, सिंधी समाज, करणी सेना, वैश्य महासभा, सेन समाज, यादव समाज के लोग उपस्थित रहे। कपिल स्वामी ने कहा कि आज जिस तरीके से सभी समाज के लोगों ने एकता का परिचय दिया है ये एकता आगे चलकर इसी तरह बरकरार रहनी चाहिए। कपिल कुमार दुबे ने कहा कि संख्याबल ही हमारी शक्ति है। इसलिए अधिक से अधिक संख्या में हम एकत्रित होकर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन जारी रखेंग। सपाक्स समाज के भरत तिवारी ने आगामी विस चुनाव में आरक्षित सीटों पर वोट न डालने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि मैं अपनी आखिरी सांस तक एससी-एसटी एक्ट के विरोध में लड़ाई लड़ता रहूंगा और संघर्ष इस काले कानून के खत्म होने तक जारी रहेगा। ज्ञापन देने वालों में करणी सेना अध्यक्ष इंदू राजा, देवी प्रसाद दुबे, शिवशंकर मिश्रा, नीरज तिवारी, राजीव हजारी, राजकुमार पचौरी, गज्जू चौबे, प्रियंक दुबे, ललित पांडे, दीपक स्वामी, पीताम्बर, बारिज तिवारी, रिक्की शर्मा, अंकित तिवारी, यश मार्टिन, देवेंद्र जैन, नितिन पचौरी, संतोष मारुति, देवीप्रसाद दुबे, अंकुर श्रीवास्तव, रीतेश तिवारी, धर्मेंद्र सिंह, पप्पू तिवारी, तोताराम यादव, अंकित जैन, कमल हिंदुजा, भोलेश्वर तिवारी, गज्जू चौबे, विकास केशरवानी, राकेश छाबड़ा, उमेश सराफ, पंकज दुबे, राम शर्मा, मोहन अग्रवाल, डॉ अनिल खरे, रोहित तिवारी, राहुल व्यास, हित कुमार अग्रवाल, प्रकाश गुरु, सहित हजारों की संख्या में सपाक्स जन उपस्थित रहे।

विवि की छात्रा ने भी दिया समर्थन
कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने पहुंची भीड़ में एक मात्र लड़की नजर आई, जो सपाक्स के प्रदर्शन में शामिल थी। यह लड़की डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि के बीकॉम फस्र्ट इयर की छात्रा है। छात्रा मानस जैन निवासी खिमलासा ने बताया कि वह यहां सपाक्स के समर्थन में आई थी। उसने बताया कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले राम मंदिर बनाने का वायदा किया था, लेकिन अभी तक राम मंदिर नहीं बना है। वहीं, आरक्षण के मामले में केंद्र व राज्य सरकार के रवैए से भी छात्रा काफी नाराज थी।
तिरंगा हाथ में लिए वृद्ध ने सरकार को कोसा

सपाक्स के बैनर तले जहां बड़ी संख्या में सवर्ण एकत्र होकर सिविल लाइन चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं उससे थोड़े आगे हाथ में तिरंगा लिए एक वृद्ध आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। यहां वृद्ध अपने हाथ में तिरंगा लिए हुए था और प्रदेश सरकार को जमकर कोस रहा था।


पुलिस-प्रशासन रहा मुस्तैद

एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन को पलटने के खिलाफ सपाक्स के बंद के दौरान तनाव और विवादों को रोकने के लिए सुबह से शाम तक शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सशस्त्र बल का पहरा रहा। कलेक्टर आलोक कुमार सिंह व एसपी सत्येन्द्र कुमार शुक्ल के साथ पुलिस बल सुबह से ही शहर की सड़कों पर उतर आया था। एसपी-कलेक्टर ने सुबह करीब ८ बजे शहर के प्रमुख क्षेत्रों का मुआयना कर सुरक्षा इंतजामों कड़े करने के निर्देश दिए। शहर का भ्रमण करने के बाद अधिकारी दोपहर १ बजे तक कंट्रोल रूम से शहर की गतिविधियों पर नजर बनाए रहे। सिविल लाइन से सपाक्स समाज के नेतृत्व में निकली रैली के दौरान एएसपी रामेश्वर सिंह के साथ कई थानों में प्रभारी और दो सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात रहे। बंद के दौरान शहर सहित जिले भर में अप्रिय स्थिति को टालने के लिए थाना स्तर पर उपलब्ध बल के अलावा करीब डेढ़ हजार रिजर्व बल भी दिनभर मुस्तैद रहा।

सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए थे
बंद के दौरान वाहन रैली निकालने के लिए विशेष अनुमति दी गई थी। बंद के दौरान जिले भर में शांति रही। सुरक्षा की दृष्टि से तमाम उपाए किए गए थे साथ ही अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी गई थीं। – आलोक कुमार सिंह, कलेक्टर

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