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शिक्षक बोले : राजनीतिक दल कंपनी की तरह व्यवहार करने लगे हैं, यह बताए सुधार के उपाए

locationसागरPublished: Apr 15, 2018 04:46:19 pm

भारत की स्वतंत्रता के पहले और उसके बाद कुछ दशक तक राजनीति मिशन थी।

Discussion in Excellence School

Discussion in Excellence School

सागर. भारत की स्वतंत्रता के पहले और उसके बाद कुछ दशक तक राजनीति मिशन थी। उसके उद्देश्य व्यापक, जनहितैषी और लोकहितकारी थे। धीरे-धीरे राजनीति में धनबल, बाहुबल, परिवारवाद हावी होता गया। लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल भी कंपनी की तरह व्यवहार करने लगे। नतीजा, अच्छे लोग या तो राजनीति से दूर होने लगे या उनके सामने अवसरों की कमी होने लगी। इन सबसे इतर अब राजनीति में न्यूनतम योग्यता और रिटायरमेंट की सीमा भी तय होनी चाहिए। यह विचार पत्रिका के महाअभियान के तहत शनिवार को एक्सीलेंस स्कूल में आयोजित परिचर्चा में शिक्षकों ने व्यक्त किए।

 

स्वच्छ राजनीति के लिए जरूरी है कि मतदाता को जागरूक किया जाए। मतदाता जब जागरूक होंगे तभी इसमें स्वच्छता आएगी। जनता को समझना होगा कि उसे अपना नेता कैसा चुनना है?
डॉ. प्रदीप खरे

– पत्रिका की यह पहल स्वागत योग्य है। नेता कई बार समस्याएं सुनते हैं, लेकिन समाधान त्वरित नहीं होता है। जब पढ़-लिखे लोग राजनीति में होंगे तो सरकार का कामकाज भी अच्छी तरह से होगा।
आनंद मंगल बोहरे

– जातिवाद और धर्म की राजनीति हो रही है। बहकावे में आकर कई मतदाता गलत लोगों को चुन लेते हैं। ऐसे में जातिवाद की राजनीति खत्म होना चाहिए। – राजू तिवारी

नैतिक मूल्य जरूरी
– वोट बैंक की राजनीति अब ज्यादा हो रही है। राजनीति में बाहुबल और धनबल काम करने लगा है। नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति होनी चाहिए। इसमें भी एक उम्र की सीमा को निर्धारित किया जाना चाहिए। राजनीति का काम ऊर्जावान लोगों को करना चाहिए।
आरके वैद्य, प्राचार्य एक्सीलेंस स्कूल

– राजनीति में मूल रूप से जरूरत अब नैतिक शिक्षा की है। नैतिक शिक्षा के अभाव गंदी राजनीति को बढ़ावा मिल रहा है। स्कूल स्तर से बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
अनुराग चतुर्वेदी

– समाज में शिक्षित, नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। इनका राजनीतिक में वर्चस्व बढ़ेगा तो लोगों का नजरिया बदलेगा। महिलाएं बेहतर ढंग से परिवार और राजनीति में तालमेल बिठा सकती हैं। – सुनीता जैन

– राजनीति में योग्यता जरूरी होना चाहिए। जब योग्य लोग इस क्षेत्र में आएंगे तो सुधार होगा। दलबदल की राजनीति भी नहीं होनी चाहिए।
अभिषेक

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