सागरPublished: Apr 28, 2019 04:37:16 pm
manish Dubesy
ओवरलोड मालगाड़ियां किसे दे रहीं है फायदा किसे नुकसान, यात्री कैसे होते हैं प्रभावित
Overload cargo track damage to track
सागर से रोजाना गुजरती हैं 70 से ज्यादा मालगाड़ी, अधिकांश में क्षमता से अधिक भरा रहता है कोयला
सागर. मालगाड़ी के डिब्बे बेपटरी होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। प्रारंभिक जांच में भी ट्रैक में गड़बड़ी होने की बातें सामने आती हैं। हालांकि इसके लिए कहीं न कहीं ओवर लोडिड मालगाडि़यां भी जिम्मेदार हैं। देखा जाता है कि बीना से कटनी रेल खंड के अप एंड डाउन ट्रैक पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में मालगाड़ी कोयला लेकर जाती हैं। इनमें क्षमता से अधिक कोयला भरा रहता है। रेलवे के जानकारों की माने तो पटरियों की क्षमता पहले से तय होती है। यदि इन पर क्षमता से ज्यादा भारी ट्रेन गुजरती है तो निश्चित रूप से पटरियों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका बन जाती है। पूर्व में जो घटनाएं हुई हैं। उनमें ट्रैक के खराब होने को जिम्मेदार बताया जा रहा है। मालगाड़ी की बोगियों में कोयला ठसा ठस भरा होता है। ऊपर से यह दो से तीन फीट तक दिखाई देते हैं। जानकारों के अनुसार कोयला डिब्बे की साइज के हिसाब से भरा जाना चाहिए, लेकिन रेलवे इसकी अनदेखी कर रहा है। सागर स्टेशन से रोजाना काफी अधिक मालगाड़ी निकलती हैं। इनमें इसी तरह क्षमता से अधिक कोयला लोड होकर निकलता है।
डिब्बों में पल्ले भी क्षतिग्रस्त
मालगाड़ी की बोगियों में अधिकांश पल्ले क्षतिग्रस्त हैं। इन्हें तार से बांधा जाता है। तेज रफ्तार में इनके अचानक टूटने से पल्ले खुल जाते हैं और यही हादसे की वजह बनते हैं। नियमानुसार यह पल्ले सख्ती के साथ बंधे होने चाहिए। यानी नट बोल्ट होने जरूरी है। लेकिन सागर से गुजरने वाली अधिकांश मालगाड़ी के कई डिब्बों में यह पल्ले अस्थाई रूप से तार से बंधे नजर आते हैं।