इन सबसे यही प्रतीत होता है कि बाघिन को अब प्राकृतिक वातावरण में छोड देना ही लाजमी होगा। नौरादेही अभयारण्य के अधिकारियों का कहना है कि अभी बाघिन को बाड़े से छोडऩे में वक्त लगेगा। वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना था कि बाघ के नौरादेही अभयारण्य में आने पर बाघिन को जंगल में छोडा जाएगा, लेकिन बाघ के आने और बाड़े से भागने के बाद अफसरों के बयान भी बदल गए,और राधा ज्यो की त्यों बाड़े में ही रह गई।
जल स्त्रोत के पास बाघ ने बनाया अपना ठिकाना
वन्य प्राणियों के जानकारों के अनुसार बाघों को गर्मी के मौसम में अधिक बेचैनी होती है और शायद यही कारण रहा की कुछ घंटों में ही बाघ बाड़े से निकल कर खुले जंगल में जल स्त्रोत के पास उसने अपना इलाका बना लिया। कॉलर आईडी लगने के बाद विभाग द्वारा लगातार उसकी लोकेशन ली जा रही है। अफसरों की मानें तो बाघ और बाघिन दोनों स्वथ्य हैं और नौरादेही का वातावरण उनके लिए अनुकूल है। डीएफओ रमेशचंद्र विश्वकर्मा ने बताया की अभी बाघिन को और दिन बाड़े में ही रखा जाएगा। इस दौरान हम बाघ को ट्रेस करेंगे वह कितनी बार बाघिन के बाड़े के यहां आता है एवं उससे कितना प्रभावित है, दोनों का आपस में व्यवहार कैसा है चूंकि बाघ अधिक ताकतवर है और इस कारण बाघिन को छोडऩे से पहले सभी पहलुओं पर अध्यन किया जाएगा। प्रोजेक्ट के सभी कार्य गाइड लाइन के अनुसार ही हो रहे है। सभी परिस्थतियों से संतुष्ट होने के बाद ही बाघिन को छोड़ा जाएगा। बाड़े में बाघिन के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।