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mp election 2018 जर्जर सड़कों पर बे-बसी का सफर, टूट रही कमर

locationसागरPublished: Nov 19, 2018 02:30:04 pm

Submitted by:

manish Dubesy

जिले के आठों विधानसभा क्षेत्रों में बेहतर परिवहन सुविधा को तरसे यात्री

mp election 2018 Road of assembly Total scan

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सागर. विकास के कसीदों के बावजूद जिले की आठों विधानसभाओं में परिवहन के साधनों की हालत बेहाल है। कहने को तो अंचल में बसों की संख्या को बढ़ाने परिवहन विभाग ने कई नीतियां बनाई पर लेकिन ग्रामीण सड़कों की बदहाली के कारण ऑपरेटर्स आगे ही नहीं आए। परिवहन सुविधा और साधनों के मामले में सबसे कमजोर स्थिति देवरी विधानसभा के महाराजपुर, बीना विधानसभा के भानगढ़, बंडा विधानसभा के बहरोल- धामौनी, सुरखी विधानसभा के जैसीनगर क्षेत्र में है। इन विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांवों से लोग अब भी या तो पैदल चलकर या निजी साधनों से मुख्य सड़क तक पहुंचकर बस पकडऩी होती है। साधनों की कमी के फायदा छोटे वाहन वाले उठाते हैं। लोगों को दोगुना तक किराया चुकाना पड़ता है। पत्रिका ने विधानसभा क्षेत्रों में जब परिवहन साधनों को स्कैन किया तो यात्रियों का दर्द सामने आ गया। अंचल में न तो बस ऑपरेटर यात्रियों की जान के जोखिम की परवाह कर रहे हैं न ही उन्हें नियमों के पालन की चिंता है। यही वजह है कि जर्जर सड़कों पर यात्री बेबस होकर सफर करने को मजबूर हैं। गड्ढों, ओवरलोडिंग से उनकी हालत खस्ता हो जाती है।

 

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सागर विधानसभा-
ठसाठस वाहन सुरक्षा से खिलवाड़
जिला मुख्यालय स्थित सागर विधानसभा पूरी तरह शहरी क्षेत्र में सिमटी हुई है। मुख्य बस स्टैंड को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने की योजना के बावजूद केवल सतही स्तर पर हुआ है। परिवहन विभाग के परमिट पर जिले के इन दोनों स्टैंड से ४०० से ज्यादा छोटी-बड़ी बस संचालित हैं और प्रतिदिन आठ से दस हजार यात्री विभिन्न स्थानों की ओर सफर करते हैं। चार्टर बस से भी करीब दर्जन भर बस सेवाओं का संचालन होता है। लेकिन बस स्टैंड पर यात्री सुविधाओं की कमी है। सफाई भी नियमित नहीं होती। बस स्टैंड परिसर में सीसीटीवी कैमरे भले लगे हैं लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। यहां से बेधड़क ओवरलोडिग़ कर सवारियों की जान को जोखिम में डाला जाता है।

बस का इंतजार कर रही बरायठा निवासी पानबाई ठाकुर का कहना था कि सुविधा में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। कभी शराब के नशे में बस चलाते ड्राइवर के पकड़े जाने की खबर मिलती है तो कभी यात्रियों से दुव्र्यवहार की। अब तक कितनों पर सख्ती हुई विभाग को भी इसका पता नहीं होगा।

अनिल पटेल, शाहपुर जाने के लिए बस स्टैंड पहुंचे थे लेकिन आधे घंटे बाद जब बस आइ तो वे सवार हो गए लेकिन बस को समय बीतने के बावजूद तब ही आगे बढ़ाया गया जब उसमें सवारी ठस गईं। एेसे में तय समय पर गंतव्य पर पहुंचने वाले लोगों को मुश्किल होती है।

देवरी विधानसभा-
लापरवाही ऐसी कि छत पर सवारी
बसों के निजीकरण के बाद यहां कुछ लोगों ने सिंडीकेट बना लिया है। अंचल में खटारा-अनफिट बसों से यात्रियों को ढोया जा रहा है। सागर, दमोह, नरसिंहपुर, रहली, सहजपुर, महाराजपुर जबलपुर के अलावा छिंदवाड़ा चलने वाली बसें अत्याधिक खटारा हो गई हैं। इनमें महिला यात्रियों के लिए न तो सीट रिजर्व है न ही किराया सूची, बस परमिट और रूट का उल्लेख बस पर नहीं किया जाता। बसों में जब तक भेड़- बकरियों की तरह भीड़ नहीं हो जाती, तब तक बस आगे नहीं बढ़ती। कोई विरोध करता है तो दुव्र्यवहार किया जाता है या फिर रास्ते में उतारकर बेइज्जत करने से भी बस परिचालक नहीं चूकते। वन क्षेत्र के ग्रामीणों को तो कई-कई किमी का सफर पैदल ही तय करना पड़ रहा है।

उमेश सेन का कहना है कि बस में जैसा कंडक्टर-ड्राइवर चाहते हैं वैसे ही यात्रियों को बैठाया जाता है। बस के चलने के लिए तय समय की भी परवाह नहीं होती। जिसके कारण तय से अधिक
राशि किराए के रूप में चुकान पर भी उसकी रफ्तार कछुआ चाल होती है।

गोविंद राजपूत के अनुसार किराया पूरा लेते हैं लेकिन बस में कभी सीट टूटी होती है कहीं खिड़की के शीशे। वेल्डिंग उखड़ी होने से बसों में चढ़ते-उतरते समय अधिकांश सवारियां जख्मी हो जाती है। न जाने इन वाहनों को फिटनेस किस आधार पर दे दी जाती है।
खुरई विधानसभा-
अनफिट बसों से जोखिम में जान
खुरई बस स्टैंड से यात्रियों से भरी ओवरलोड और अनफिट बसों को देखकर अंचल में परिवहन सुविधाओं की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। गेट पर लटके यात्रियों से भरी बिना नंबर की बसें बिना किसी रोकटोक के पूरे अंचल में दौड़ रही है लेकिन न तो परिवहन विभाग और न ही पुलिस उन पर कार्रवाई कर रही है। हाल ही में राहतगढ़ रोड पर तेज रफ्तार अनफिट बस स्कूल से लौट रही छात्रा की जान ले चुकी है लेकिन तब भी जिम्मेदारों के कानों पर जूं नहीं रेंगी। परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाकर सुविधाओं में वृद्धि के नाम पर केवल निर्माण कार्य ही अंचल में हुए हैं पर वे सतही हैं, जबकि जमीनी हकीकत ठीकठाक नहीं है।
&देवेन्द्र रघुवंशी का कहना है कि इलाके में परिवहन सुविधा बढ़ाने के नाम पर केवल बसों की संख्या बढ़ी है लेकिन वे सब मुनाफे के लिए कुछ विशेष रास्तों पर ही चल रही हैं। जिस कारण वहां अंधी दौड़ ने सवारियों की जान खतरे में डाल दी है। यात्रियों की जान जोखिम में रहती है।
&प्रदीप नायक के अनुसार सागर-बीना की बसों को कुछ बसों को छोड़ दे तो शेष की हालत दयनीय है। भगवान जाने उन्हें फिटनेस कैसे मिल रही है। कुछ बसों को तो देखकर वे दशकों पुरानी लगती हैं तो कुछ के मेक कंपनियों ने ही बंद कर दिए हैं। प्रशासन इस ओर ध्यान दे।

बीना विधानसभा-
सड़क की दुर्दशा, मात्र एक बस का सहारा
मालथौन—झांसी, बीना—सागर, बीना—कुरवाई, बीना— मुंगावली और अशोकनगर के अलावा भानगढ़ क्षेत्र के लिए परिवहन साधनों का टोटा बना रहता है। भानगढ़ की दूरी केवल १८ किमी है और हरदिन इस क्षेत्र से ५०० से ज्यादा लोग सरकारी, निजी या व्यावसायिक कार्यों के चलते बीना आते-जाते हैं लेकिन नियमित बस सेवा इस रोड की बदहाली के चलते बंद है। जिले की सीमा से सटे अशोकनगर की मुंगावली तहसील ४० किमी दूर है और यहां से ट्रेन पकडऩे या अन्य जरूरत के चलते बड़ी संख्या में लोग बीना आते है पर सड़क की दुर्दशा एेसी है कि सवारियां पर्याप्त संख्या में मिलने के बाद भी केवल एक बस ही इस सड़क पर चल रही है। ऑपरेटर बस चलाने हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं।

भानगढ़ के खिलान पटेल का कहना था आए दिन कभी बीना तो कभी मुंगावली जाना होता है लेकिन या तो इकलौती बस का इंतजार करना पड़ता है या फिर निजी वाहन की मदद लेनी होती है। जिन पर खुद के साधन नहीं वे ऑटो रिक्शा पर कई गुना किराया खर्च करते हैं।

चंद्रभान अहिरवार का कहना है कि मुंगावली की सड़क अरसे से अधूरी पड़ी है। गिट्टियों पर आए दिन भारी वाहन फंसते हैं तो यात्री बस टूटफूट के चलते बंद हो गई हैं। जनप्रतिनिधियों ने एक बार भी इस सड़क के निर्माण कार्य को गति दिलाने का प्रयास नहीं किया। केवल दिखावे के दावे करते हैं।
सुरखी विधानसभा-
सड़क ने रोक दी विकास की रफ्तार
भापेल से जैसीनगर के बीच ३० किमी लंबा मार्ग कई सालों से निर्माणाधीन है। गड्ढे और गिट्टियों के कारण बसों में इतनी क्षति हुई कि आधे से ज्यादा साधन बंद कर दिए गए। अब इक्का-दुक्का बसें जिला मुख्यालय से जैसीनगर के बीच संचालित हैं। जिसके चलते कुछ छोटे वाहन टैक्सी के रूप में लोगों की जरूरत का साधन बन गए हैं। सागर, राहतगढ़ जाने वाले लोग यदि शाम को लेट हो जाते हैं तो उन्हें लौटने के लिए साधन ही नहीं मिलता।
यह स्थिति तब है जबकि जिला मुख्यालय पर यात्री बसों के संचालन की बाढ़ सी आ गई है लेकिन परिवहन विभाग अंचल में बसों की संख्या नहीं बढ़ा पा रहा है। केवल सागर ही नहीं दूसरी ओर सिलवानी और अंचल के छोटे मार्ग भी बदहाली की चपेट में हैं।

दिलीप पटेल ने बताया कि बायपास रोड पर सीनियर बालिका एवं बालक छात्रावास हैं। बच्चों को वहां तक पहुंचने के लिए चंद किमी दूरी तय करने भी साधन उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि सड़कें बदहाल होने के कारण कोई भी वाहन चालक उस ओर जाना ही नहीं चाहता। क्षेत्र में सड़क मार्ग ही आवागमन का मुख्य साधन है।

सरपंच रश्मि बढ़ौनिया का कहना है कि सड़क का धीमी गति से हो रहा है, जो किसानों की मुसीबत बना है। गुणवत्ता की अनदेखी जारी है और अरसे से इस वजह से साधनों का टोटा झेल रहे क्षेत्र को फिर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। क्षेत्र में सड़क परिवहन की सुविधाओं का विस्तार करने की जरूरत है, ताकि आवागमन सुगम हो।


बंडा विधानसभा-
क्षेत्र में बदहाली है परिवहन सेवा
क्षेत्र में विकास के भले कई काम हुए हों लेकिन अब भी परिवहन सेवा डेढ़-दो दशक जैसी हालत में ही है। ग्रामीण क्षेत्र की उखड़ी सड़कों के कारण शाहगढ़ से बरायठा के बीच २०-२५ किमी का सफर बस से २ से ढाई घंटे में पूरा होता है। लोगों को लेकर जब बस चलती है तो इंजन की आवाज से स्थिति का आकलन किया जा सकता है।
पांच साल गुजर गए, लेकिन एक फीसदी भी सुधार बदहाल परिवहन सेवा में नहीं हुआ। सबसे ज्यादा असर बण्डा- शाहपुर, मंजला-भडऱाना, पटौआ-चीलपहाड़ी के बीच के सफर से समझा जा सकता है। कहीं सड़कें अधूरी हैं तो कहीं पुल-पुलियों का निर्माण। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कें जर्जर होने के कारण इन बसों में सफर करना भी मुश्किल है।

बम्होरी खुर्द निवासी भगतसिंह के अनुसार अगर ग्रामीणों को गूगराखुर्द गांव से शाहगढ जाना होता है तो जरा सी दूरी तय करने में ३ घंटे लग जाते हैं। क्षतिग्रस्त सड़क एेसी है कि वाहन को इससे तेज रफ्तार पर चलाना हादसे की वजह बन सकता है। सरकार को यहां परिवहन की सेवाओं को दुरुस्त करना चाहिए।

बस चालक गनेश सेन ने भी ठप पड़ी बस सेवा के लिए सिस्टम को जिम्मेदार बताया। उनका कहना था कि जो वायदे किए गए थे, उसी रफ्तार से काम होना चाहिए थे। तब अच्छा काम होता और क्षेत्र में परिवहन सेवा भी सुचारू रूप से संचालित की जा सकती थी। क्षेत्र के लोग सिर्फ सड़क मार्ग पर ही आवागमन पर निर्भर हैं।
रहली विधानसभा-
रात ८ बजे के बाद बाहर जाने नहीं बस
रहली विधानसभा मुख्यालय से शाम ढलने के बाद अंचल में न तो बस संचालित है न ही परिवहन के दूसरे कोई साधन। रहली के पास ही मैनाई, धौनाई, बाबूपुरा, देवरी रोड पर चांदपुर, गौरझामर, खैराना, सोनपुर, जबलपुर मार्ग पर छिरारी, मुहली, हिनौती, हदुआ, गढाकोटा मार्ग पर विजयपुरा, लुहागर और सागर मार्ग पर पटना, रमखिरिया, पांच मील सहित अनेक ग्राम जुड़े हैं लेकिन इन सभी पर शाम के बाद सन्नाटा पसर जाता है। यात्री प्रतीक्षालय भी नाम का ही है जहां सुविधाएं तक नहीं हैं। शिवम प्रजापति का कहना है कि अंचल के लंबे रास्तों पर इस समय पर यात्री बस चलना चाहिए। वीरेन्द्र दुबे ने बताया कि सड़कें अच्छी बन गई लेकिन उन पर बस ही नहीं हैं तो फिर क्या फायदा।

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