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सागर

गैस सिलेंडर लाने वाले हॉकर्स की मेहनत का नहीं कोई मोल

कटौती एजेंसी संचालकों की जेब में

सागरMay 22, 2019 / 12:59 pm

pushpendra tiwari

lpg cylinder rate latest news

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सागर. घर तक रसोई गैस सिलेंडर पहुंचाने वाले हॉकर के चेहरे से बहता पसीना उसकी मेहनत की कहानी कह देता है, लेकिन इस मेहनत के बदले जो पारिश्रमिक इन्हें कमीशन के रुप में मिलना चाहिए वह पूरा न देकर एजेंसी संचालक लगभग आधी कटौती कर भुगतान कर रहे हैं और यह कटौती एजेंसी संचालकों की जेब में जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उपभोक्ता के पते पर सिलेंडर उपलब्ध कराने के बदले हॉकर को 18.50 पैसे प्रति सिलेंडर के हिसाब से कमीशन दिया जाना चाहिए। लेकिन इस कमीशन में 8.50 रुपए की कटौती कर 10 रुपए प्रति सिलेंडर के हिसाब से भुगतान गैस एजेंसी संचालकों द्वारा किया जा रहा है। कई तो यह १० रुपए भी नहीं दे रहे। इंडियन गैस एजेंसी के एक हॉकर ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि प्रति सिलेंडर के हिसाब से 10 रुपए का भुगतान एजेंसी संचालक द्वारा किया जाता है, जबकि यह तय राशि से साढ़े आठ रुपए कम है। यदि पूरे पैसों की मांग की जाती है तो संचालकों द्वारा काम से निकाल देने की बात कह दी जाती है।

साल भर में बस एक ड्रेस दी जाती
हॉकर्स द्वारा बताया गया है कि एजेंसी संचालक द्वारा उन्हें किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती है। सुविधा के नाम पर साल में एक बार ड्रेस मिलती है। इसके अलावा सिलेंडर उपभोक्ता के घर तक पहुंचाने के लिए वाहन, पेट्रोल-डीजल खर्च नहीं मिलता है साथ ही कोई अनहौनी हो जाए तो वह भी हॉकर्स को ही भुगतनी होती है।

शहर में इंडियन गैस की 5 प्रमुख एजेंसियां
एचपी गैस की 3 प्रमुख एजेंसियां
भारत गैस की 2 एजेंसिया
शहर में लगभग 2500 घरेलू गैस सिलेंडरों की खपत
लगभग 300 कामर्शियल सिलेंडर की खपत
प्रत्येक एजेंसी में करीब 15 हॉकर नियमित कार्यरत

इस सप्लाई पर बढ़ जाता है कमीशन
हाकर्स द्वारा बताया गया है कि घरेलू सिलेंडर पहुंचाने पर उन्हें एजेंसी द्वारा १० रुपए कमीशन मिल रहा है तो वहीं कामर्शियल सिलेंडर पहुंचाने पर तीस रुपए कमीशन मिलता है। कमीशन में यह अंतर इसलिए है क्योंकि कामर्शियल सिलेंडर की सप्लाई कम होती है।

यह बनाया बहाना
हॉकर्स को पूरा पारिश्रमिक नहीं दिए जाने के संबंध में सागर गैस एजेंसी के कर्मचारी दीपक अहिरवार से बात की तो उन्होंने बताया कि भुगतान की राशि में कटौती इसलिए कर ली जाती है, क्योंकि हॉकर उपभोक्ता से भी दस बीस रुपए ले लेते हैं। इसके अलावा हॉकर द्वारा भविष्य में यदि कोई गड़बड़ी कर दी जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा, इसलिए पूरा पैसा नहीं दिया जाता है।

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