नदी के मध्य में विराजे गजानन का समुद्र मंथन देखने उमड़े श्रद्धालु
श्रद्दालुओं की दर्शनों के लिए लग रही है अपार भीड़ आस्था का केंद्र बने बीच नदी में विराजे गणेश
In the middle of the river Gajanan looking forward to seeing the sea churning
रहली. बुंदेलखंड क्षेत्र में श्री गणेश की प्रतिमाएं विराजमान कर आराधना करने का क्रम चल रहा है। भक्तों ने निराले तरीके से झांकियां सजाई हैं, कहीं डोकलाम सीमा विवाद को केंद्रित किया गया है तो कहीं गणेश जी की आकर्षक झांकिया सजाई गई हैं। इन्हीं सबमें पूरे बुंदेलखंड में एक निराली छटा बिखर रही है, मप्र के सागर जिले के रहली में बीच सुनार नदी की धार में श्री गणेश जी की प्रतिमा को विराजमान कराया गया है। जो पूरे क्षेत्र में एक नया प्रयोग है।
सुनार नदी के बीचों-बीच विराजे गणपति बप्पा की पूर्जा-अर्चना करने बड़ी संख्या श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शाम को आरती का आयोजन किया जा रहा है। गणेश मंडल के सदस्यो द्वारा यहां धार्मिक एवं शिक्षाप्रद आकर्षक झांकियां सजाई जाती हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए ऐरावत हाथी, झूला, चकरी आदि लगाए गए हैं। आयोजक मंडल के अंकेश हजारी ने बताया कि सुनार नदी के पावन तट एवं भगवान सूर्य देव के ऐतिहासिक स्थल पर भव्य आयोजन हर वर्ष किया जाता है। जिसमें करीब 300 से अधिक कार्यकर्ता सहयोग करते हैं।
यहां प्रतिदिन नई झांकी सजाई जाती हैं। जिनमें प्रथम दिवस सीता हरण एवं रावण व जटाई युद्ध का चित्रांकन, दूसरे दिन बाली सुग्रीव युद्ध एवं तीसरे दिन सोमवार को सुनार नदी में समुद्र मंथन का दृश्य का मंचन किया गया। इस बार के गणेशोत्सव में प्रति दिन अलग-अलग झांकियां सजाए जाने से लोगों का जमावड़ा एकत्रित हो रहा है। ग्रामीण के अनुसार रहली जैसे कस्बे में श्री गणेश की झांकी सजाने के लिए किया गया अनूठा प्रयोग लोगों को आकर्षित कर रहा है, जहां पहले लोग शहरों की झांकियां देखने जाते थे अब वहीं सागर शहर से इस झांकी के दर्शन के लिए लोग उमड़ रहे हैं और श्री गणेशजी के दर्शन प्राप्त कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। आयोजकों की बीच नदी में गणेश विराजमान कराने की मंशा भी यह है कि इस स्पाट में रोज दर्शक हजारों की संख्या में उमड़े और ग्रामीणों में भी यह गौरव बना रहे कि शहरों की तरह अब गांवों में भी गणेश प्रतिमाओं व झांकियों का निर्माण किया जाने लगा है।
Home / Sagar / नदी के मध्य में विराजे गजानन का समुद्र मंथन देखने उमड़े श्रद्धालु