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25 से शुरू होगा रोशनी का त्योहार दिवाली, बाजार हुए जगमग

locationसागरPublished: Oct 18, 2019 08:23:43 pm

घरों में हो रही लक्ष्मी जी के आगमन की तैयारियां

 

सागर. रोशनी के त्योहार दीपावली की रौनक बाजार में दिखाई देनी लगी है। रोशनी के इस त्योहार के स्वागत के लिए घरों में तैयारियां चल रही हैं। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। भारतवर्ष में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। यह त्योहार 5 दिनों तक चलने वाला एक महापर्व है। 25 अक्टूबर को धनतेरस के साथ ५ दिवसीय पर्व शुरू हो जाएगा।

धनतेरस
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस कहते हैं। धनवंतरी के जन्म के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा होती है। भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।

धनतेरस- शुक्रवार, 25 अक्टूबर

शुभ मुहूर्त
शाम 19. 10 से 20.१5 तक

प्रदोष काल
17.42 से 20.15 तक

वृषभ काल
18.51 से 20.47 तक

नरक चतुर्दशी

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतर्दशी नरक चतुर्दशी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। दिवाली से एक दिन पहले मनाए जाने की वजह से नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान का काफी महत्व है। मान्यता है कि नरक चतुर्दर्शी के दिन यमुना में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता।

नरक चतुर्दशी- शनिवार, 26 अक्टूबर
स्नान का समय – 05.15 से 06.29 तक

लक्ष्मी पूजा

पांच दिवसीय इस पर्व का प्रमुख दिन लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली होता है। इस दिन रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य,आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्जवलित करना चाहिए।

लक्ष्मी पूजा- रविवार, 27 अक्टूबर
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

रात में 18.44 से 20.14 तक

चौघडिय़ा मुहूर्त

अपराह्न मुहूत्र्त (शुभ) – 13.28 से 14.52 तक
सायंकाल मुहूत्र्त (शुभ, अमृत, चल)- 17.40 से 22.29 तक

गोवर्धन पूजा

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी किया जाता है। इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजा- सोमवार, 28 अक्टूबर

गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त
15.25 से 17. 39 तक

भाई दूज

दिवाली के बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के 2 दिन बाद कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। 5 दिनों तक चलने वाले महापर्व का यह आखिरी पर्व होता है। भाई दूज में बहने अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और भाई की लंबी आयु और अच्छे भविष्य की कामना करती हैं।

भाई दूज तिलक का समय – दोपहर 13.11 से 15.25 तक

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