…तो निर्माण कार्यों में कर सकते हैं उपयोग
वनस्पतिशास्त्री डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव का कहना है कि झील में लाखों मैट्रिक टन पानी है। यदि इसको मोंगा बंधान से बिना प्लानिंग के छोड़ा जाएगा तो वह पानी जब लंबी दूरी करके तो जल्द सूख जाएगा लेकिन उसको कई स्थानों पर छोटे-छोटे स्टॉप डेम के माध्यम से रोका जाएगा तो गर्मी के मौसम में इस पानी का उपयोग कर सकते हैं। अप्रैल के बाद निर्माण कार्यों पर पानी की समस्या के चलते रोक लगा दी जाती है लेकिन झील के पानी को शहर के बाहर मेहर नदी में रोक लिया तो फिर इसका उपयोग निर्माण कार्य में भी किया जा सकता है।
फिलहाल नहीं है कोई प्लानिंग
सूत्रों की माने तो झील को खाली करने की प्लानिंग बना रहे अफसरों ने इसके दूसरे पहलू पर कोई ध्यान नहीं दिया है। पिछली बार जब जनभागीदारी के तहत डीसिल्टिंग कार्य के लिए झील को खाली किया गया था तब भी नेताओं व अफसरों ने ऐसी ही लापरवाही की थी। यही वजह है कि मेहर नदी में कुछ किसानों ने पानी को रोककर उसका उपयोग कृषि कार्य में किया था।
शहर में गिरेगा भूजल स्तर
झील के खाली होने के बाद शहर के कुछ क्षेत्रों का भूजलस्तर गिरना बिलकुल तय है। सिविल लाइन, गोपालगंज, श्रीराम कॉलोनी, श्रीरामनगर, मनोरमा कॉलोनी, तहसीली, तिली की दर्जनों कॉलोनियों में झील खाली होते ही भूजलस्तर पाताल की गर्त में चला जाता है। झील के पानी को यदि संरक्षित नहीं किया गया तो यह व्यर्थ में नदी में बह जाएगा।
इस वजह से खाली की जानी है झील
स्मार्ट सिटी योजना के तहत झील की डीसिल्टिंग, घाटों का सौंदर्यीकरण, झील के चारों ओर पेयजल व सीवर नेटवर्क समेत अन्य प्रकार के कार्य किए जाने है। पूर्व में जनवरी के आखिरी सप्ताह से झील खाली करने का निर्णय हुआ था लेकिन अब इसको फरवरी के पहले सप्ताह तक के लिए टाल दिया गया है।