मिशन इन्द्रधनुष की शुरुआत अक्टूबर 2017 में हुई थी। दो वर्ष की आयु के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को 9 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं। बीते साल रीवा जिले को पिछड़े जिले के रूप में चिन्हित किया गया था। तब जिले का टीकाकरण कवरेज 52 प्रतिशत था। इसके बाद कलेक्टर प्रीति मैथिल के निर्देशन में जिले में विशेष अभियान प्रारंभ किया गया। यह अभियान अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर 2017 तथा जनवरी 2018 चार चरणों में चलाया गया। अभियान को सफल बनाने के लिए कई नवाचार किए गए। शिक्षक, समाजसेवी, एनजीओ, धर्मगुरू, गायत्री परिवार, ब्रम्हाकुमारी परिवार, एनसीसी, नेहरू युवा केन्द्र, और आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद ली गई। टीकाकरण जन जागरूकता अभियान चलाया गया। कार्यक्रम की लगातार समीक्षा की गई।
सात रंगों की रंगबिरंगी छतरियां वितरित की गईं। स्कूल स्तर पर चित्रकला, रंगोली, भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गईं। शंकरगढ़ में काम के सिलसिले में रह रहे जिले के कई परिवारों के बच्चों का टीकाकरण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां भी पहुंची। गुढ़ में नवनिर्मित सोलर प्लांट में, केन्द्रीय जेल में तथा दस्यु प्रभावित जंगली क्षेत्रों में रह रहे परिवार के बच्चों का भी टीकाकरण किया गया।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बसंत अग्निहोत्री ने बताया कि जवा में 93 प्रतिशत तथा मऊगंज में 100 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण किया गया। इसी प्रकार नईगढ़ी में 91.3 प्रतिशत, रायपुर कर्चुलियान में 97.8 प्रतिशत, रीवा में 97.4 प्रतिशत, सिरमौर में 95.5 प्रतिशत, त्योंथर में 93.3 प्रतिशत टीकाकरण किया जा चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार जिले में टीकाकरण कवरेज 96 प्रतिशत दर्ज किया गया और जिले को पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।
चार चरण में बच्चों का टीकाकरण
टीकाकरण अभियान के पहले चरण में 11929 बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य था इसके मुकाबले 12023 बच्चों का टीकाकरण किया गया। दूसरे चरण में 7512 बच्चों के लक्ष्य के विरुद्ध 8 18 0 बच्चों का, तीसरे चरण में 6 8 50 बच्चों के लक्ष्य के विरुद्ध 7412 बच्चों का तथा चौथे चरण में 6 146 बच्चों के लक्ष्य के विरुद्ध 6 6 6 8 बच्चों का टीकाकरण किया गया।