एक जनवरी 2019 की स्थिति में युवाओं की आयु 21 से 30 वर्ष तक अनिवार्य की गई है। परिवार की वार्षिक आय दो लाख रुपए से कम होनी चाहिए। साथ ही यह भी शर्त रखी गई है कि ग्रामीण क्षेत्र में चल रही मनरेगा के जाबकार्ड धारियों को इसका लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा योजना के तहत युवाओं के पंजीयन से लेकर प्रशिक्षण और उन्हें रोजगार मुहैया कराने के साथ ही मानदेय भुगतान तक की प्रक्रिया नगर निगम के आयुक्त को बताई गई है। इसमें युवाओं को यह भी बताना होगा कि वह शहरी क्षेत्र के निवासी हैं। बताया गया है कि ऐसे प्रशिक्षण दिए जाएंगे जिससे युवा स्वयं के भी रोजगार स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ सकें। कई ऐसे कार्य हैं जिनका प्रशिक्षण लेने के बाद कंपनियों एवं दुकानों में सहजता से नौकरी मिल जाएगी। ग्राम पंचायतों में संचालित मनरेगा की तर्ज पर ही युवा स्वाभिमान योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत जिन युवाओं को रोजगार नगरीय निकाय नहीं दिला पाता है तो उन्हें साल में १०० दिन का मानदेय देने का प्रस्ताव शासन को भेजेगा, जहां से राशि अभ्यर्थियों के खाते में भेजी जाएगी।
युवा स्वाभिमान योजना के तहत 12 फरवरी से आनलाइन पंजीयन शुरू कर दिया गया है। आगामी 20 फरवरी तक पंजीयन किया जाएगा, इसके बाद पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर 21 फरवरी को स्वीकृति का मैसेज नगरीय निकाय द्वारा मोबाइल पर भेजा जाएगा। निकाय द्वारा आवेदक के दस्तावेजों का सत्यापन भी कराया जाएगा। इसके बाद दस दिवसीय प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाएगा। अधिक संख्या में अभ्यर्थियों के होने पर अलग से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार की महत्वाकांछी योजना युवा स्वाभिमान के संचालन के लिए नगरीय निकायों को नोडल एजेंसी बनाया गया है। निकायों द्वारा ही पंजीयन का सत्यापन कराया जाएगा और व्यवसायिक कौशल विकास से जुड़े प्रशिक्षण भी इन्हें दिए जाएंगे। २१ फरवरी से लेकर पांच मार्च के मध्य युवाओं को प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से देने के लिए कहा गया है।