बताया गया है कि पुलिस आरक्षक की गांजा तस्करी करने वाल हरीश से पहले से दोस्ती थी। इस व्यवसाय में लाभ को देखते हुए जल्दी पैसा कमाने के लिए वह अपने दोस्तों के साथ गांजा तस्करी में करने वाले के साथ हो गया। इस तरह लंबे से समय गांजे का कारोबार कर रहा था। वहीं पुलिस के अधिकारी आरक्षक को पहलीबार गांजे की खेप लाना बता रहे हैं।
पुलिस व गाजा तस्करों की दोस्ती कई बार सामने आ चुकी है। इस मामले में न्यायालय के हस्ताक्षेप के बाद गुढ़ थाने के पूरे स्टॉफ को हटाया गया था। आरोप था कि पुलिस ने गांजा तस्करों को बचाने के लिए समय पर चालान पेश नहीं किया जिससे आरोपी को जमानत का लाभ मिला है। वहीं शहर में तीन दर्जन से अधिक पुलिस आरक्षक है जिनकी अपराधियों के साथ गहरी दोस्ती है। इन आरक्षकों को पुलिस आला अधिकारियों का संरक्षण है यही कारण है कि कई आरक्षक ज्वाइनिंग से लेकर अभी भी एक ही जगह जमे हुए हैं।