scriptबारिश के चलते तेंदूपत्ता खराब होने की आशंका, घट सकता है संग्रहण | mp forest, tendupatta collection in rewa | Patrika News

बारिश के चलते तेंदूपत्ता खराब होने की आशंका, घट सकता है संग्रहण

locationरीवाPublished: Apr 19, 2019 08:49:16 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– बारिश के बाद धूप से पत्तों में गांठ और छेंद होने का रहता है खतरा- वनोपज समितियों को जांच के लिए दिया गया निर्देश

rewa

mp forest, tendupatta collection in rewa

रीवा। तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। अब इंतजार है कि पत्ते तोडऩे के लायक हो जाएं तो इसकी प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। इसी बीच बारिश हो गई जिसने आशंका बढ़ा दी है कि पत्तों को कहीं नुकसान न पहुंच जाए। अभी पेड़ों में पत्ता आना शुरू ही हुआ है कि बारिश हो गई, कुछ जगह पत्ते आने में दो से तीन सप्ताह तक का समय लग जाएगा। बताया जाता है कि सामान्यतौर पर जब पत्ता कोमल होता है तो उस पर पानी गिरने के बाद दाने के रूप में गांठ बनने की आशंका बढ़ जाती है।
ग्रामीण इसे माता की बीमारी का नाम देते हैं। साथ ही कई जगह पत्तों में छेंद होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में सभी पत्ते उपयोग के लिए उचित नहीं होते। हाल ही में हुई बारिश के चलते वन विभाग के अधिकारियों ने मैदानी अमले को निर्देशित किया है कि वे अपने क्षेत्र में भ्रमण करें और देखें कि फिलहाल कितना नुकसान पत्तों को पहुंचा है। इसके पहले भी कई बार तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान ही बारिश हुई और बड़ी मात्रा में संग्रहण पर असर हुआ। खराब पत्तों को ग्राम लघु वनोपज समितियों अस्वीकार कर देती हैं, जिससे श्रमिकों को भी परेशानी होती है।

– सप्ताह भर बाद हुई बारिश तो बढ़ेगा नुकसान
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी पत्ते शुरू हो रहे हैं, इसलिए कम नुकसान है। सप्ताह भर के बाद जब सभी पेड़ों में पत्ते आ जाएंगे तो उस दौरान यदि बारिश हुई तो खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। रीवा जिले में यदि मौसम सामान्य रहा तो मई महीने के पहले सप्ताह से तेंदूपत्ता का संग्रहण प्रारंभ हो जाता है। मौसम में लगातार बदलाव से समय में भी असर पड़ता है।

– 37300 मानक बोरा का टारगेट
इस वर्ष जिले में २१ ग्राम लघु वनोपज समितियों के माध्यम से तेंदूपत्ते का संग्रहण होगा। जिले भर में 37 हजार 300 मानक बोरा संग्रहण करने के लिए टारगेट रखा गया है। पिछले वर्ष भी मौसम में खराबी आ गई थी। बीते कुछ वर्षों से संग्राहकों की इसके लिए दिलचस्पी कम होने की वजह से पानी की वॉटल, जूता-चप्पल एवं साडिय़ां भी सरकार ने वितरित करने की योजना बनाई है। इसका असर हुआ है कि संग्रहण में वृद्धि हुई है। वर्ष २०१६ में मौसम खराब होने के चलते टारगेट पूरा नहीं हो पाया था। ३५ हजार के लक्ष्य में २९ हजार मानक बोरा संग्रहण ही हुआ था। सिंगरौली के अलावा संभाग के किसी जिले में लक्ष्य हासिल नहीं हुआ था।

– खाते में भुगतान की प्रक्रिया बंद, हाथ में देंगे नकदी
तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान को लेकर समस्या रहती थी, जिसकी शिकायतें भी उनकी ओर से की जा रही थी। वचन पत्र में कांग्रेस ने खाते का भुगतान बंद करने का आश्वासन दिया था। सरकार बनने के बाद इसकी घोषणा भी कर दी गई है। अब संग्राहकों को समितियों में ही नकदी भुगतान कर दिया जाएगा। इससे बैंक जाने और कई दिनों तक इंतजार करने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। बताया गया है कि प्रदेश सरकार ने ५०० रुपए की वृद्धि करते हुए अब २५०० मानक बोरा के हिसाब से मजदूरी निर्धारित कर दी है।

– आगजनी से भी हो रहा नुकसान
जंगलों में लगातार आग लगने की हो रही घटनाओं के चलते भी नुकसान हो रहा है। जहां पर आग और धुंए की लपटें पेड़ों तक पहुंचती हैं, वहां पर पत्ते खराब होने की आशंका रहती है। बारिश होने से जंगलों में आग लगने की घटनाएं रुकी हैं। गर्मी बढऩे के बाद ही इसकी घटनाएं बढ़ेंगी।

ट्रेंडिंग वीडियो