बड़े ही चांव से लोहे के सिक्के, सेविंग ब्लेड, कांच के टुकड़े, लोहे की जंजीर आदि खाता आ रहा। एक इसी तरह का मामला मध्यप्रदेश के रीवा शहर स्थित श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल में सर्जरी के दौरान चौकाने वाली स्थिति सामने आई है।
जहां डॉ प्रियंक शर्मा के नेतृत्व में सात डॉक्टरों ने की सर्जरी कर मरीज के पेट से 263 सिक्के निकले है। जिनका कुछ योग 760 है। छोटी बड़ी लोहे की कीले 1.50 किलो, 10 से 12 शेविंग ब्लेड, कांच के टुकड़े, पत्थर के टुकड़े, 6 इंच कुत्ते बाधने की जंजीर, 4 बोरा सिलने वाले सूजे सहित करीब 5 किलो की लौह सामग्री पेट से निकली है। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि मेडिकल सांइस में इस तरह का केस पहले कभी नहीं सुनने को मिला है।
सेप्टी सीमिया मर्ज हो गया था युवक को
बताया गया कि मोहम्मद मकसूद निवासी सोहावल जिला सतना शनिवार 18 नवंबर को रीवा के संजय गांधी हॉस्पिटल की ओपीडी आया था। परिजनों की शंका पर 20 नवंबर को एक्सरे कराया गया। शुक्रवार को सर्जरी की गई। सर्जरी विभाग के डॉक्टर प्रियंक शर्मा ने बताया कि यह मरीज मानसिक रूप से बिछिप्त है। हालांकि पेशे से ऑटो ड्राइवर है। जो भी सिक्के मिलते थे उसको खा लेता था। तीन महीने से इसे प्रॉब्लम कुछ ज्यादा हो रही थी। इस मर्ज को मेडिकल साइंस की भाषा में सेप्टी सीमिया कहते जो इसको हो गया।
बताया गया कि मोहम्मद मकसूद निवासी सोहावल जिला सतना शनिवार 18 नवंबर को रीवा के संजय गांधी हॉस्पिटल की ओपीडी आया था। परिजनों की शंका पर 20 नवंबर को एक्सरे कराया गया। शुक्रवार को सर्जरी की गई। सर्जरी विभाग के डॉक्टर प्रियंक शर्मा ने बताया कि यह मरीज मानसिक रूप से बिछिप्त है। हालांकि पेशे से ऑटो ड्राइवर है। जो भी सिक्के मिलते थे उसको खा लेता था। तीन महीने से इसे प्रॉब्लम कुछ ज्यादा हो रही थी। इस मर्ज को मेडिकल साइंस की भाषा में सेप्टी सीमिया कहते जो इसको हो गया।
सतना के डॉक्टरों ने बताया था टीबी
परिजनों की मानें तो 6 माह पहले मकसूद का इलाज सतना में चल रहा था। जहां सर्जरी विभाग के कुछ डॉक्टरों ने टीबी का मर्ज बताकर वर्षों उपचार किया। जब हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो रीवा मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया। तो चौंकाने वाली बात सामने आई। पहले तो डॉक्टर बात नहीं समझ पाए। जब एक्सरे किए तो पूरी फिल्म सामने आ गई।
परिजनों की मानें तो 6 माह पहले मकसूद का इलाज सतना में चल रहा था। जहां सर्जरी विभाग के कुछ डॉक्टरों ने टीबी का मर्ज बताकर वर्षों उपचार किया। जब हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो रीवा मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया। तो चौंकाने वाली बात सामने आई। पहले तो डॉक्टर बात नहीं समझ पाए। जब एक्सरे किए तो पूरी फिल्म सामने आ गई।
बचपन से खा रहा था लौह पदार्थ
सोहावल निवासी इस युवक को लोहा निगलने का शौक भारी पड़ गया। जो बचपन से लौह पदार्थ चोरी छिपे खा रहा था। इसकी भनक परिजनों को भी नहीं थी कि ये भोजन में दाल-चावन रोटी-सब्जी की जगह लौह पदार्थ खा रहा है। हालांकि पीडि़त अब सकुशल है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार स्वास्थ्य का चेकअप कर रही है। जिसमें धीरे-धीरे सुधार बताया जा रहा है।
सोहावल निवासी इस युवक को लोहा निगलने का शौक भारी पड़ गया। जो बचपन से लौह पदार्थ चोरी छिपे खा रहा था। इसकी भनक परिजनों को भी नहीं थी कि ये भोजन में दाल-चावन रोटी-सब्जी की जगह लौह पदार्थ खा रहा है। हालांकि पीडि़त अब सकुशल है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार स्वास्थ्य का चेकअप कर रही है। जिसमें धीरे-धीरे सुधार बताया जा रहा है।