न्यू गणपति क्लब के अध्यक्ष शिवेन्द्र शुक्ला ने बताया कि जबलपुर से 13 फीट की प्रतिमा लाई जा रही है। लाइटिंग का कार्य जबलपुर से आई टीम ही कर रही है। कलकत्ता से आए कारीगर बुधवार को पांडाल तैयार करने में जुटे रहे। अमहिया मार्ग में दोनों ओर भव्य द्वार बनाया गया है। रामसागर मंदिर के पुजारी राजीव शुक्ला ने बताया कि गुरुवार शाम छह बजे विधि-विधान से मूर्ति स्थापना की जाएगी।
रात आठ बजे आरती होगी। समिति के उपाध्यक्ष प्रदीप गंगवानी, कोषाध्यक्ष अनिल गुप्ता, सचिव मनीष जायसवाल, सह सचिव मनीष गुप्ता, अंकित सिंह, प्रदीप पाण्डेय, पुरुषोत्तम गुप्ता, सुमित मेहानी, फरदीन खान, विनीत पाण्डेय, अभिषेक गुप्ता, कृष्णा, निक्की सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता पिछले कई दिनों से गणेशोत्सव की तैयारी में जुटे हैं। इसी तरह शहरभर में भव्य तैयारी की जा रही है।
भगवान गणेश की बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा होती है। गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। यह उत्सव 10 दिन २३ सितंबर अनंत चतुर्दशी चक चलेगा। मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। यही वजह है कि ज्यादातर स्थानों पर मध्याह्न के समय गणेश की स्थापना एवं पूजा की तैयारी है। गुरुवार को मध्याह्न मुहूर्त में विधि-विधान से गणेश पूजा होगी।
सर्वप्रथम गणपति पूजा का संकल्प लेते हुए चतुर्थी के दिन मध्याह्न काल में गणपति पूजा एवं स्थापना करें। गणपति प्रतिमा को दक्षिण मुखी अथवा पूर्वमुखी स्थापित करना शुभकर है। गणपति को अत्यंत प्रिय सिंदूर सर्वप्रथम उनकी प्रतिमा पर अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार विधि से पूजन करते हुए लड्डूओं का भोग लगाएं। घंटा, शंख, घडिय़ाल आदि ध्वनि के साथ गणपति आरती करें। १३ सितंबर को मध्याह्न गणेश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 10.47 से 01.13 बजे तक है। साथ ही शाम 4.36 से 6.07 बजे एवं 6.07 बजे से 7.36 बजे के मध्य मुहूर्त है। चतुर्थ तिथि गुुरुवार दोपहर 2.51 बजे तक है।
राम सागर मंदिर के पुजारी पंडित राजीव शुक्ला ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे मिथ्या कलंक लगता है। मान्यता है कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था। नारद ऋषि के परामर्श पर उन्होंने गणेश चतुर्थी व्रत किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गए।
गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले बुधवार को बैजू धर्मशाला में गणेश प्रतिमा खरीदने के लिए सुबह से ही भीड़ लगी रही। एक दिन में ही तीन दर्जन से ज्यादा मूर्तियां लोगों ने ली। गुरुवार को भी भक्तगण मूर्ति खरीदने पहुंचेंगे। ऐसे मूर्तिकारों को उम्मीद कि ज्यादातर मूर्ति की बिक्री हो जाएगी।
शहर के हर गली मोहल्लों में गणेश के पांडाल लगाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय रोड, रतहरा, ढेकहा, पीटीएस चौराहा सहित कई स्थानों पर पांडाल लगाए जा रहे हैं। जहां पूरे दस दिन तक गणपति बप्पा की धूम रहेगी।
गणपति प्रतिमा को घर में लाने से पूर्व उनके ऊपर लाल वस्त्र डाल दें। गणपति प्रतिमा का मुख अपने मुख की ओर हो। घर या पांडाल के मुख्य द्वार पर पहुंचते ही आरती से स्वागत करें। चतुर्थी के दिन सिर्फ मध्याह्न काल में गणपति प्रतिमा की स्थापना की जानी चाहिए। गणपति प्रतिमाओं की स्थापना डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन अथवा 10 दिन के लिए करनी चाहिए। गणपति प्रतिमा पर प्रतिदिन 21 दूर्वा, 21 मोदक एवं 21 शमी पत्र चढ़ाने चाहिए।