प्राइवेट हेल्पर के भरोसे डिवीजन
बताया गया है कि प्राइवेट हेल्पर के सहारे मंनगवा डिवीजन चल रहा है। शासन द्वारा जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है वह किसी कारण से दुर्घटनाग्रस्त हैं पोल पर चढऩे लायक नहीं है। वर्तमान में १४ कर्मचारी हैं और सभी दुर्घटनाग्रस्त हैं। आलम यह है कि आएदिन बिजली विभाग की आंख मिचौली से पूरे डिविजन के लोग परेशान हैं। कई बार धरना प्रदर्शन और ज्ञापन के माध्यम से जिले के अधिकारियों को अवगत कराया गया है। डिवीजन के कई उपकेंद्र पर कई बार ग्रामीण तालाबंदी भी कर चुके हैं। यहां तक कि बिजली विभाग के कर्मचारियों से हाथापाई की नौबत भी आ जाती फिर भी विभाग व्यवस्था नहीं बना पा रहा है।
बरसात में चल रहा मेंटीनेंस
बिजली विभाग के अधिकारियों से अघोषित कटौती के बारे में जब पूछा जाता है तो उनका एक ही जवाब होता है कि इस समय मेंटेनेंस का काम चल रहा है। जबकि बरसात के पूर्व मेंटीनेंस का शत-प्रतिशत कार्य शासन की गाइडलाइन के अनुसार 1 दिन विशेष दिन घोषित करके किया जाता है। यहां लाइनमैन कभी भी कितनी समय कटौती करके मेंटेनेंस का किए जाने का हवाला देते हैं।
रात में ऑपरेटर के भरोसे सब स्टेशन
मनगवां विद्युत वितरण केंद्र में रात्रि के समय अगर पोल गिर जाए, तार टूट जाए तो उसे बनाने वाला कोई नहीं है। इतने बड़े सब स्टेशन में सिर्फ ऑपरेटर लाइन को बंद और चालू करने वाला ही रहता है। लाइनमैन के नाम पर रजिस्टर में सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। रात में न कोई लाइनमैन रहता और न ही वरिष्ठ अधिकारी। ऐसे में किसी दिन बड़ी घटना हो सकती है।
कैसे मिले 24 घंटे बिजली
जब जिले के आला अधिकारी उदासीन हैं तो क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करने वाले तो और भी उदासीन है। पूर्व की सरकारों ने 24 घंटे बिजली देने का तो वादा किया लेकिन जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाना नहीं पहनाया जा सका। विद्युत विभाग के अडिय़ल रवैया से डिवीजन के सभी कनेक्शनधारी आक्रोशित हैं। 24 घंटे के नाम पर महज 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल रही है। पहली ही बरसात में बिजली विभाग की दावों की पोल खोल दिया 5 दर्जन से अधिक ग्रामों में पोल उखड़े पड़े है। कई गांव तो ऐसे हैं जहां दो पखवाड़े से भी अधिक समय से उनके घर रोशन नहीं हुए।
बिचौलियों के सहारे मेंटीनेंस का कार्य
विद्युत विभाग में सारे मेंटीनेंस कार्य ठेकेदारी प्रथा से कराए जाते हैं। जिन जगहों पर केबलिंग की गई उनके निकाले हुए डिस्मेंटल तारों को बिचौलियों द्वारा बाजारों में बेच दिया जाता है और शासन के खजाने को पलीता लगाया जा रहा हैं। न तो क्षेत्रीय प्रशासन इन पर अंकुश लगा पा रहा और न ही जिले के आला अधिकारी। बिजली के फाल्ट होने पर बिचौलिए से ही सुधार कार्य भी कराया जाता है।
जहां सब स्टेशन वहीं के लोग बिजली को तरसे
मनगवां में बिजली की अधिक आवश्यकता को देखते हुए शासन स्तर पर सब स्टेशन का निर्माण कराया गया। यहीं से गढ़, मऊगंज जिले के अनेक स्थानों पर बिजली सप्लाई की जाती है। लेकिन मनगवां के लोग उजियारे को तरस रहे हैं। समय पर न तो बिजली मिलती और अगर कहीं फाल्ट आ जाए तो न कर्मचारी उपस्थित रहते। ऐसे में अंधेरे में ही रात गुजारनी पड़ती है।
बताया गया है कि प्राइवेट हेल्पर के सहारे मंनगवा डिवीजन चल रहा है। शासन द्वारा जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है वह किसी कारण से दुर्घटनाग्रस्त हैं पोल पर चढऩे लायक नहीं है। वर्तमान में १४ कर्मचारी हैं और सभी दुर्घटनाग्रस्त हैं। आलम यह है कि आएदिन बिजली विभाग की आंख मिचौली से पूरे डिविजन के लोग परेशान हैं। कई बार धरना प्रदर्शन और ज्ञापन के माध्यम से जिले के अधिकारियों को अवगत कराया गया है। डिवीजन के कई उपकेंद्र पर कई बार ग्रामीण तालाबंदी भी कर चुके हैं। यहां तक कि बिजली विभाग के कर्मचारियों से हाथापाई की नौबत भी आ जाती फिर भी विभाग व्यवस्था नहीं बना पा रहा है।
बरसात में चल रहा मेंटीनेंस
बिजली विभाग के अधिकारियों से अघोषित कटौती के बारे में जब पूछा जाता है तो उनका एक ही जवाब होता है कि इस समय मेंटेनेंस का काम चल रहा है। जबकि बरसात के पूर्व मेंटीनेंस का शत-प्रतिशत कार्य शासन की गाइडलाइन के अनुसार 1 दिन विशेष दिन घोषित करके किया जाता है। यहां लाइनमैन कभी भी कितनी समय कटौती करके मेंटेनेंस का किए जाने का हवाला देते हैं।
रात में ऑपरेटर के भरोसे सब स्टेशन
मनगवां विद्युत वितरण केंद्र में रात्रि के समय अगर पोल गिर जाए, तार टूट जाए तो उसे बनाने वाला कोई नहीं है। इतने बड़े सब स्टेशन में सिर्फ ऑपरेटर लाइन को बंद और चालू करने वाला ही रहता है। लाइनमैन के नाम पर रजिस्टर में सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। रात में न कोई लाइनमैन रहता और न ही वरिष्ठ अधिकारी। ऐसे में किसी दिन बड़ी घटना हो सकती है।
कैसे मिले 24 घंटे बिजली
जब जिले के आला अधिकारी उदासीन हैं तो क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करने वाले तो और भी उदासीन है। पूर्व की सरकारों ने 24 घंटे बिजली देने का तो वादा किया लेकिन जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाना नहीं पहनाया जा सका। विद्युत विभाग के अडिय़ल रवैया से डिवीजन के सभी कनेक्शनधारी आक्रोशित हैं। 24 घंटे के नाम पर महज 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल रही है। पहली ही बरसात में बिजली विभाग की दावों की पोल खोल दिया 5 दर्जन से अधिक ग्रामों में पोल उखड़े पड़े है। कई गांव तो ऐसे हैं जहां दो पखवाड़े से भी अधिक समय से उनके घर रोशन नहीं हुए।
बिचौलियों के सहारे मेंटीनेंस का कार्य
विद्युत विभाग में सारे मेंटीनेंस कार्य ठेकेदारी प्रथा से कराए जाते हैं। जिन जगहों पर केबलिंग की गई उनके निकाले हुए डिस्मेंटल तारों को बिचौलियों द्वारा बाजारों में बेच दिया जाता है और शासन के खजाने को पलीता लगाया जा रहा हैं। न तो क्षेत्रीय प्रशासन इन पर अंकुश लगा पा रहा और न ही जिले के आला अधिकारी। बिजली के फाल्ट होने पर बिचौलिए से ही सुधार कार्य भी कराया जाता है।
जहां सब स्टेशन वहीं के लोग बिजली को तरसे
मनगवां में बिजली की अधिक आवश्यकता को देखते हुए शासन स्तर पर सब स्टेशन का निर्माण कराया गया। यहीं से गढ़, मऊगंज जिले के अनेक स्थानों पर बिजली सप्लाई की जाती है। लेकिन मनगवां के लोग उजियारे को तरस रहे हैं। समय पर न तो बिजली मिलती और अगर कहीं फाल्ट आ जाए तो न कर्मचारी उपस्थित रहते। ऐसे में अंधेरे में ही रात गुजारनी पड़ती है।