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पत्थर की दीवार नहीं शिक्षक व छात्र होते हैं विश्वविद्यालय की आत्मा

locationरीवाPublished: Jul 21, 2019 04:51:15 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

मुख्य अतिथि ने वीरबल तानसेन को याद कर छात्रों को किया प्रेरित,गोविंद नारायण सिंह को बताया महान कवि व दार्शनिक

Awadhesh Pratap Singh University celebrated its 52th Foundation Day

Awadhesh Pratap Singh University celebrated its 52th Foundation Day

रीवा. ‘ किसी भी शैक्षणिक संस्थान का आंकलन वहां के भवन एवं दीवार के आधार पर नहीं होता। शैक्षणिक संस्थान की आत्मा वहां पढ़ाने वाले प्राध्यापक एवं पढऩे वाले विद्यार्थी होते हैं। विश्वविद्यालय की धूरी उन्हीं पर टिकी होती है। शिक्षकों के कर्तव्य के प्रति निष्ठा एवं छात्रों की लगन, मेहनत एवं प्रतिभा ही विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान दिला सकती है। यह बात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विजय शुक्ल ने कही है।

शनिवार को अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के पं. शंभूनाथ शुक्ल सभागार में 52वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, विंध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक स्व. गोविंद नारायण सिंह न केवल मुख्यमंत्री रहे बल्कि महान कवि एवं महान दार्शनिक रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विंध्य का इतिहास गौरवशाली रहा है। बीरबल एवं तानसेन ने विंध्य की धरती को विश्व के मानचित्र पर स्थापित किया। आरएस शर्मा एनटीपीसी के चेयरमैन बने। न्यायाधीश गुरु प्रसन्न सिंह जो यहीं से पले बढ़े एवं शिक्षा प्राप्त की। पं. शभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति बने।

मुख्य अतिथि ने कहा कि, यहां से शिक्षा प्राप्त कर कई लोगों ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की व इस धरा का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि, हमें भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। हम देखना चाहते हैं यह विश्वविद्यालय भी विश्व स्तर के विश्वविद्यालय में अपना स्थान बनाए। बताया कि पं. शंभूनाथ शुक्ल उनके बाबा थे ऐसे में उनका इस विश्वविद्यालय से गहरा नाता है।

शोध को बढ़ाने की जरूरत
विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका का विमोचन करते हुए शुक्ल ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक स्टॉफ की तारीफ की। कहा, कि विश्वविद्यालय में मुख्य रूप से शोध कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत है। कहा कि, विश्वविद्यालय में ऐसा हो रहा है यह जानकर हमें खुशी हो रही है। शोध कार्यों में छात्रों की भागीदारी एवं गुणवक्ता को बढ़ावा देना चाहिए। छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि, आपका सौभाग्य है कि इतने अच्छे गुरुजन मिले हैं। इनका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं।

उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा विश्वविद्यालय
कुलपति प्रो. केएन सिंह यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की पिछले पांच वर्ष की प्रगति गिनाई। बताया कि, विश्वविद्यालय कोशल उन्नयन के क्षेत्र में काम कर रहा है। छात्रों को रोजगार उपलब्ध हो सके इसके लिए विश्वविद्यालय में काम हुए हैं। यहां से पढ़ाई कर निकलने वाले छात्रों को सीधे कंपनियों में जगह उपब्लध कराई जाती है। इसके प्रबंधन विश्वविद्यालय में किए गए हैं।

बताया कि विश्वविद्यालय पिछले पांच वर्षों के दौरान सात नए कोर्स शुरू किए गए है। भवनों का विस्तार किया जा रहा है। नए भवन स्थापित किए जा रहे हैं। कहा कि विश्वविद्यालय में प्रादेशित एवं राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताएं होनी है। विश्वविद्यालय में 233 महाविद्यालय संबंद्ध है। अकादमिक कैलेंडर के अनुरूप प्रवेश एवं परीक्षाएं हो रही हैं। विश्वविद्यालय परिसर में सौर्य ऊर्जा के दो संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

जिससे बिजली का खर्च कम हुआ है। विश्वविद्यालय में पर्याप्त बिजली मिल रही है। इसी प्रकार रूसा से अनुदान मिलने वाला है। जिसकी मदद से पर्यावरण विभाग, फिजिक्स एवं केमिस्ट्री विभाग में अत्याधुनिक प्रायोगिक उपकरणों की खरीदी की जानी है। जिससे रिसर्च के कार्यों में गुणवक्ता एवं तेजी आएगी।

कुलसचिव लाल साहब सिंह ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. मृणाल श्रीवास्तव ने किया। इससे पहले कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय का कुलगीत गाया गया। मुख्य अतिथि का कुलपति ने फूल माला से स्वागत किया।

शैक्षणिक पदों पर भर्ती नहीं कर पाने का मलाल
कुलपति प्रो.केएन सिंह यादव को अपने कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय में शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक पदों पर भर्ती नहीं कर पाने का मलाल कार्यक्रम में दिखा। उन्होंने मंच से कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारियों की आवश्यकता है, लेकिन कुछ कारणों से इसे पूरा नहीं किया जा सका। उल्लेखनीय है कि कुलपति का कार्यकाल अब अंतिम दौर में है।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का सम्मान किया गया। जिसमें सेवानिवृत्त प्रोफेसर, अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल रहे। मुख्य अतिथि न्यायाधीश विजय शुक्ल, कुलपति प्रो.के.एन यादव एवं कुलसचिव लाल साहब सिंह ने सम्मान किया।

हिन्दी के सेवानिवृत्त प्रो. आर्या प्रसाद त्रिपाठी एवं फिजिक्स के सेवानिवृत्त्त प्रो. डीपी तिवारी को शाल-श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। सेवानिवृत्त अधिकारियों में उपेन्द्रनाथ चतुर्वेदी, दल प्रसाद तिवारी, लालमणि मिश्र को सम्मानित किया गया। इसी प्रकार सेवानिवृत्त्त सुरक्षा अधिकारी कमलेश्वर सिंह एवं छोटे लाल लखेरा को सम्मानित किया गया।

विंध्य भारती व प्रतिविम्ब का होता है प्रकाशन
विश्वविद्यालय विंध्य भारती रिसर्च जनरल का प्रकाशन करता है। प्रो.आरएन सिंह इसका संपादन करते हैं। इसी प्रकार प्रतिबिम्व न्यूज लेटर का विमोचन किया गया। प्रो. विजय अग्रवाल इसका संपादन करते हैं। जिसका विमोचन मुख्य अतिथि ने किया।

भूमिपूजन एवं पौधरोपण
अवसर पर मुख्य अतिथि ने विश्वविद्यालय परिसर में होने वाले निर्माण कार्यो का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पौधे रोपे।

ये हरे मौजूद
कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो. रहस्यमणि मिश्र, प्रो.एपी मिश्र, प्रो. एनपी पाठक, प्रो. दिनेश कुशवाह, प्रो. श्रीकांत मिश्र, छात्र अधिष्ठाता प्रो. एसएल अग्रवाल, प्रो. अंजली श्रीवास्तव, प्रो. सुनील कुमार तिवारी, प्रो. अतुल पाण्डेय, प्रो.महेशचन्द्र श्रीवास्तव, कर्मचारी संघ अध्यक्ष बुद्धसेन पटेल, रामसुजान साकेत, आनंद बहादुर , कृष्णमोहन त्रिपाठी, अनुराग दुबे मौजूद रहे।

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