ये भी पढ़ें- जानें, अनंत चतुर्दशी पर क्यों होती है भगवान विष्णु की पूजा अनंत धागा की पूजा करने के बाद उसे बाजू पर बांध लिया जाता है। उसके बाद ही अन्न ग्रहण किया जाता है। इस दिन नमक नहीं खाने की भी प्रंपरा है। कहा जाता है कि अनंत चतुर्दशी व्रत करने वालों को नमक नहीं खाना चाहिए। अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश विसर्जन भी किया जाता है।
क्या है अनंत धागा धर्म शास्त्रों के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान है। इस अनंत धागा का बहुत ही महत्व है। अनंत धागा, सूत के धागे को हल्दी में भिगोने के बाद 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। यह एक रक्षा सूत्र है। इसे पूजा करने के बाद बाजू में बांध लिया जाता है।
14 गांठ क्यों? मान्यता है कि अनंत धागा पर जों गांठें लगाई जाती हैं, उस हर गांठ में भगवान विष्णु के विभिन्न नामों की होती है। अनंत धागा पर 14 गांठ भगवान विष्णु द्वारा रचना की गई 14 लोकों का प्रतीक होता है। भगवान विष्णु ने तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भी, भुव:, स्व:, जन, तप स्तय मह की रचना की है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी व्रत को अगर कोई 14 वर्षों तक कर लें तो उसे विष्णु लोग की प्राप्ति होती है।