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समझें पानी का मोल सफाई का मूलमंत्र अपनाना है

locationधारPublished: Jun 10, 2018 05:26:36 pm

-धारेश्वर मंदिर के समीप मलुसिया बावड़ी का श्रमदान में उतरे नागरिक व संगठन

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समझें पानी का मोल सफाई का मूलमंत्र अपनाना है

धार.
‘आंगन में सबके समान बरसाया, जिसका जैसा पात्र उतना रख पाया। गांव के कोने-कोने में कुंभ बनाना है। समझें पानी का मोल, अब नहीं चलेगी पोल हर बावड़ी का जीर्णोद्धार करवाना है। सफाई मूल मंत्र है सबने अपनाना है।Ó इन काव्य पंक्तियों के साथ रविवार को शहर के धारेश्वर मंदिर के समीप प्राचीन मलुसिया बावड़ी में श्रमदान कर सफाई अभियान में कई हाथ एक साथ जुट गए। पत्रिका के आह्वान पर अमृतं जलम् अभियान के तहत हुए इस कार्यक्रम में नगर के प्रबुद्ध नागरिकों के साथ महिलाओं और बच्चों ने भी श्रमदान कर अपने जलाशयों को निर्मल करने की शपथ ली। रविवार को सुबह ८ बजे से शुरू हुआ अभियान सुबह १० बजे पूर्ण हुआ। इस दौरान मलुसिया बावड़ी के भीतर पड़ा कचरा व पेड़ों की पत्तियों को भी साफ किया गया। इस प्राचीन बावड़ी की सफाई के बाद इसमें जब गाद निकाली जा रही थी तो सूखी पड़ी बावड़ी में आंव भी नजर आने लगी। हालांकि अभी इसमें कुछ श्रमदान की और जरूरत है। संभवत: अगले सप्ताह दुबारा यहां श्रमदान किया जाएगा। यहां बताया गया कि इसमें प्राकृतिक रूप से झिर होने के अलावा दो बोर भी करवा रखे हैं, लेकिन कचरे और गाद जमी होने के कारण पानी का यह स्रोत अभी बंद है। यहां श्रमदान के बाद उम्मीद जागी है कि जल्द ही प्राकृतिक रूप से बावड़ी में पानी की आवक शुरू हो जाएगी।
खूब पानी रहता है मलुसिया बावड़ी में
वर्ष 1868 में निर्मित इस बावड़ी में बारिश के बाद खूब पानी संग्रहित होता है। जब यह पूरी तरह भरी होती है तो यहां तैराकी करने के लिए आसपास के मोहल्ले के युवक-युवतियां और बच्चे जमा हो जाते हैं। बावड़ी के दीवार पर खड़े रहकर छलांग लगाकर गोते लगाने का आनंद भी लेते हैं। इस क्षेत्र में रहने वाली वयोवृद्ध महिला चंदा शर्मा ने बताया कि उनके परदादा ने ९०० रुपए बीघा में यहां खेत की जमीन खरीदी थी। इसी में यह बावड़ी थी। उन्होंने बताया कि जब तो उनका जन्म भी नहीं हुआ था। यह बावड़ी काफी पुरानी है और इसी से खेतों में सिंचाई तक होती थी।
संगठनों और नागरिकों ने पत्रिका के अभियान को सराहा
मलुसिया बावड़ी की सफाई के लिए पहुंचे स्वयं सेवी संगठनों व प्रबुद्ध नागरिकों ने जलाशयों को निर्मल करने के इस अभियान की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि शहर की जलाशयों की सफाई करवाने का बीड़ा पत्रिका ने जो उठाया है। उसमें हम सदैव भागीदारी करेंगे। कवि व साहित्यकार नंदकिशोर उपाध्याय ‘प्रबोधकÓ ने कहा कि ऐसे अभियान जन अभियान बनते हैं और लोगों को अपने आसपास के जलस्रोतों के संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने इस अवसर पर जलसंरक्षण लिखी कविता का पाठ भी किया।
इन्होंने श्रमदान में निभाई भागीदारी
धारेश्वर मंदिर के समीप स्थित मलुसिया बावड़ी में रविवार को श्रमदान करने के लिए जब लोग जुटे तो क्षेत्र के बालक-बालिकाएं भी इसमें कूद पड़े। इस अभियान में पंतजलि योग समिति से आरती यादव, प्रमोद पाटील, जिला प्रभारी विक्रम डूडी, अमरसिंह पारा के अलावा व्यक्ति विकास संस्था की लेखा शर्मा, दीपिका शर्मा, चंदा शर्मा, हमारा प्रयास सेवा संस्थान के संजय शर्मा, कृष्णलाल यादव, नपा उपाध्यक्ष कालीचरण सोनवानिया, पार्षद विपिन राठौर, नपा कर्मचारी राधेश्याम राठौर, सामाजिक कार्यकर्ता योगेश मालवीय, ब्लैक स्क्वायड के पियूष जोशी अपनी टीम के साथ मौजूद थे। वहीं भाजपा के संभागीय मीडिया प्रभारी ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
बावड़ी के संरक्षण के लिए एकजुट होंगे नागरिक
इस अभियान के बाद प्रबुद्ध नागरिकों ने कहा कि इस प्राचीन बावड़ी को संरक्षित करने के लिए एकजुट होंगे। इसमें कचरा डालने और गंदगी आदि फेंकने पर रोक लगाने के लिए इस पर जालियां लगाने पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि यह प्राचीन बावड़ी लोगों के लिए तैराकी का अच्छा माध्यम है। इसे खुला रखने की बात भी सामने आई।

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