scriptमहिलाओं ने हिल-मिल कर मनाई बड़ी तीज | Woman Celebrated Kajir Teej in groups | Patrika News

महिलाओं ने हिल-मिल कर मनाई बड़ी तीज

locationसूरतPublished: Aug 30, 2018 12:46:06 pm

Submitted by:

Dinesh M Trivedi

चंद्रदर्शन के बाद व्रती महिलाओं ने कच्चे दूध के साथ सातु का प्रसाद ग्रहण किया

patrika

महिलाओं ने हिल-मिल कर मनाई बड़ी तीज

सूरत. श्रावणी तीज के पंद्रह दिन बाद बुधवार को बड़ी तीज (कजरी तीज) का पर्व शहर में बसे प्रवासी राजस्थानी समाज की महिलाओं ने सज-संवरकर हर्षोल्लास के साथ मनाया। महिलाओं ने पूजा, कथा श्रवण, चंद्रदर्शन आदि कार्यक्रमों में भाग लिया।
भाद्रपद कृष्णपक्ष तृतीया को बड़ी तीज पर्व के अवसर पर सुबह से महिलाएं विभिन्न कार्यक्रमों में व्यस्त रहीं। परवत पाटिया, गोडादरा, पूणागांव, टीकमनगर, उधना, भटार, घोड़दौड़ रोड, सिटीलाइट, न्यू सिटीलाइट, वेसू, अलथाण आदि क्षेत्रों में बसे राजस्थानी समाज की महिलाओं में दोपहर बाद पर्व का उल्लास बढ़ गया।
वह सज-संवरकर सोसायटी, अपार्टमेंट आदि में निर्धारित स्थलों पर पूजन सामग्री के साथ पहुंचने लगीं। शाम को नीम की टहनी, आक के पत्ते और कच्चे दूध के साथ बड़ी तीज के मौके पर बनाए गए सातु के साथ महिलाओं ने पूजा-अर्चना की और बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं से तीज की कहानी सुनी। रात्रि को चंद्रदर्शन के बाद व्रती महिलाओं ने कच्चे दूध के साथ सातु का प्रसाद ग्रहण किया।

उद्यापन में जमी रंगत


तीज के उद्यापन के आयोजन के दौरान समूह में जमा व्रती महिलाओं ने पारम्परिक तरीके से पूजा-अर्चना के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लिया। इस दौरान कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। ऐसे कार्यक्रम ज्यादातर निजी स्तर पर घर-परिवार में उद्यापन के मौके पर आयोजित किए गए। शहर के विभिन्न इलाकों की सोसायटी-अपार्टमेंट में व्रती महिलाओं ने पेड़ों पर झूले डाले और गीत गाते हुए झूलने का आनंद लिया।
धर्म के लिए बुढ़ापे का इंतजार मत करो


सूरत. कुछ लोग धर्म करने के लिए समय का इंतजार करते हैं। धर्म आज नहीं, कल कर लेंगे, ऐसा सोचते हैं। कुछ लोग धर्म बुढ़ापे में कर लेंगे, ऐसा सोचते हैं, यह ठीक नहीं हैं। यह उद्गार बुधवार को साध्वी ललित प्रभा ने उधना के तेरापंथ भवन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि बुढ़ापा अक्षम होता है। बुढ़ापे में शरीर शिथिल हो जाता है। सुनने की शक्ति कम हो जाती है। देखने की क्षमता कम हो जाती है। विभिन्न प्रकार के रोग शरीर को घेर लेते हैं।
ऐसे में न किसी काम में मन लगता है, न धर्म करने में मन लगता है। इसलिए बुढ़ापे का इंतजार मत करो। आंखों की दृश्य शक्ति एवं कानों की श्रव्य शक्ति कम हो जाए, उससे पहले ही धर्म कर लो।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो