ज्योतिषाचार्य पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार ऐसी मान्यता है कि पितर पक्ष के पंद्रह दिनों में मृत आत्माएं अपने परिजनों व कुल कुटुम्ब के लोगों से मिलने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। इसलिए उनका पिंड दान, मोक्ष पूजन व पितर दोष पूजन आदि किया जाता है। ताकि उनकी आत्माओं को शांति मिले और मोक्ष की प्राप्ति हो। साथ ही वे परिजनों को शुभाषीष देकर उनकी खुशहाली का आशीर्वाद भी देती हैं। इस साल 2पितृ पक्ष 24 सितंबर दिन सोमवार से शुरू हो रहा है। ये 8 अक्टूबर सोमवार तक रहेंगे।
जानें किस दिन कौन सा श्राद्ध-
24 सितंबर – सोमवार पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर – मंगलवार प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर – बुधवार द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर – गुरुवार तृतीय श्राद्ध
28 सितंबर – शुक्रवार चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर – शनिवार पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर – रविवार षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर – सोमवार सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर – मंगलवार अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर – बुधवार नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर – गुरुवार दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर – शुक्रवार एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर – शनिवार द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर – रविवार त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर – सोमवार सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या
#महालय अमावस्या
पितृ पक्ष के सबसे आखिरी दिन को महालय अमावस्या होगी। इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार इस दिन उन सभी मृत पूर्वजों का तर्पण करवाते हैं, जिनका किसी न किसी रूप में हमारे जीवन में योगदान रहा है। इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं और उनसे अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हैं। इस दिन किसी भी मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जा सकता है। खासतौर से वह लोग जो अपने मृत पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वह इस दिन तर्पण करा सकते हैं।
पहला श्राद्ध- 24 सितंबर सोमवार
तिथि – पूर्णिमा, जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के पहले दिन होता है।
#श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त -11:48 से 12:40 तक
रौहिण मुहूर्त – 12:41 से 01:25 तक
अपराह्न काल – 01:25 से 03:45 तक