जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज ने मनाया खाद्य संयम दिवस : पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व के प्रथम दिन को खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया। सुबह व्याख्यान, रात्रि में प्रतिक्रमण व धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज ने महापर्व पर्यूषण शुक्रवार को मनाया। आचार्य प्रवर महाश्रमण के आदेशानुसार मुंबई से आईं दो उपासिका भाग्यवती कच्छारा, मीना साबद्रा ने वैशाली नगर स्थित एचसी गोलछा के निवास में प्रवचन दिया। उपासिका ने पर्यूषण पर्व का शाब्दिक अर्थ चारों ओर धर्म की प्रवजवना बताया, और पहले दिन को खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाने की जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि भोजन के तीन प्रकार होते हैं, प्रथम मित यानी कम खाना, द्वितीय हित हितकारक भोजन, तृतीय ऋ तु भोजन मतलब ऋ तु के अनुसार व परिश्रम और ईमानदारी से उपार्जित धन से ही भोजन करें। भोजन करने से पहले 5 बार महामंत्र का उच्चारण करें तो भोजन देवभोग बन जाता है। उन्होंने कहा कि जो ढाबे और होटल में खाना खाते हैं, वह अस्पतालों में बीमार पड़े रहते हैं। भोजन हमेशा स्वच्छ और साफ वातावरण में ही करना चाहिए। क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक और मन को तृप्त करने वाला होता है। इसके आलवा उपासिकाओं जैन धर्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी भी दी़। कार्यक्रम में सुरेंद्र मालू, चंद्र प्रकाश बोथरा, रमेश गर्ग, विक्रम चंद दुग्गड़, चंद्रकांत छलानी, प्रदीप दुग्गड़, नवीन नाहर, हुल्लास चंद गोलचा, प्रकाश, विनोद, कुसुम , विमला दुग्गड़, लक्ष्मी दुग्गड़, इंदु लुनिया उपस्थित थे।