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विचार मंथन : मूर्खों से बहस करके कोई बुद्धिमान नहीं कहला सकता- संत ज्ञानेश्वर

locationभोपालPublished: Feb 16, 2019 04:38:43 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

विचार मंथन : मूर्खों से बहस करके कोई बुद्धिमान नहीं कहला सकता- संत ज्ञानेश्वर

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विचार मंथन : मूर्खों से बहस करके कोई बुद्धिमान नहीं कहला सकता- संत ज्ञानेश्वर

मूर्खों से बहस करके कोई बुद्धिमान नहीं कहला सकता मूर्ख पर विजय प्राप्त करने का एक ही तरीका है कि उसकी तरफ ध्यान ही ना दिया जाए । सहिष्णुता मनुष्य में एक बहुत बडा और आवश्यक गुण माना जाता है । इसे सहनशील भी कहा जाता है । यह एक ऐसा गुण है, जिसके लिये अभ्यास करना पडता है । सहिष्णुता वंशानुक्रम में उत्तराधिकार में मिल सकती है, परन्तु वातावरण और परिवेश की प्रतिकूलता में इसको सिंचित न किया गया तो इसके अंकुर सूख जाते हैं ।

 

ऐसा बहुत कुछ होता है, जो परिवार से अनुकूल नहीं मिलता तब अपनी इच्छाओं और मन को मारकर गुजर बसर करनी पडती है । निर्धनता जैसे परिवेश में सहिष्णुता कठिन परीक्षा लेती है । विद्यार्थी को पुस्तकें खरीद न पाने की स्थिति में मांग कर लायी पुस्तकें सही सलामत न लौटाने की सजा भुगतनी पडती है । अन्य परिस्थितियां भी हैं, जिनमें सहिष्णुता को बनाये रखना कठिन हो सकता है। समाज के अपने नियम हैं। कुछ जाति सम्बन्धी गलत परम्पराएं भी अभी विद्यमान हैं। सहिष्णु को विषम से विषम परिस्थितियों को सहना पडता है ।

 

मूर्ख व्यक्ति से ज्ञान की बातें नहीं करना चाहिए । वह कुछ का कुछ समझ लेगा । मूर्ख व्यक्ति का आप कितना ही भला करें, वह कभी भी पलट जाएगा। मूर्ख व्यक्ति के साथ सोच-समझकर ही व्यवहार करना चाहिए। हो सके तो उससे बचकर निकल जाएं तो ही अच्छा है । यदि आप उसका विरोध करेंगे तो खुद भी मूर्ख साबित हो जाएंगे । पढ़े-लिखे मूर्खों से समाज और राष्ट्र का ज्यादा नुकसान होता है । मूर्ख व्यक्ति को आप अपना दोस्त समझकर उसे कोई रहस्य बताएंगे, तो वह कभी भी राज नहीं रहेगा ।

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