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विचार मंथन : समय का पालन मानव-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संयम है- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

locationभोपालPublished: Jan 14, 2019 05:46:21 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

समय-संयम सफलता की निश्चित कुन्जी है- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

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विचार मंथन : समय का पालन मानव-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संयम है- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

समय का सदुपयोग करने वाला सफल होने के साथ प्रशंसा का पात्र बनता हैं
निर्धारित समय में हेर-फेर करते रहने वाले बहुधा लज्जा एवं आत्मग्लानि के भागी बनते हैं । किसी को बुलाकर समय पर न मिलना, समाजों, सभाओं, गोष्ठियों अथवा आयोजनों के अवसर पर समय से पूर्व अथवा पश्चात् पहुंचना, किसी मित्र से मिलने जाने का समय देकर उसका पालन न करना आदि की शिथिलता सभ्यता की परिधि में नहीं मानी जा सकती है । देर-सवेर कक्षा अथवा कार्यालय पहुंचने वाला विद्यार्थी तथा कर्मचारी भर्त्सना का भागी बनता है । ‘लेट लतीफ’ लोगों की ट्रेन छूटती, परीक्षा चूकती, लाभ डूबता डाक रुक जाती, बाजार उठ जाता, संयोग निकल जाते और अवसर चूक जाते हैं । इतना ही नहीं व्यावसायिक क्षेत्र में तो जरा-सी देर दिवाला तक निकाल देती हैं । समय पर बाजार न पहुंचने पर माल दूसरे लोग खरीद ले जाते हैं । देर हो जाने से बैंक बन्द हो जाता है और भुगतान रुक जाता है । समय चुकते ही माल पड़ा रहता है । असामयिक लेन-देन तथा खरीद-फरोख्त किसी भी व्यवसायी को पनपने नहीं देती ।

 

समय का पालन मानव-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संयम है । समय पर काम करने वालों के शरीर चुस्त, मन नीरोग तथा इन्द्रियां तेजस्वी बनी रहती हैं । निर्धारण के विपरीत काम करने से मन, बुद्धि तथा शरीर काम तो करते हैं किन्तु अनुत्साहपूर्वक । इससे कार्य में दक्षता तो नहीं ही आती है, साथ ही शक्तियों का भी क्षय होता है । किसी काम को करने के ठीक समय पर शरीर उसी काम के योग्य यन्त्र जैसा बन जाता है । ऐसे समय में यदि उससे दूसरा काम लिया जाता है, तो वह काम लकड़ी काटने वाली मशीन से कपड़े काटने जैसा ही होगा ।

 

क्रम एवं समय से न काम करने वालों का शरीर-यन्त्र अस्त-व्यस्त प्रयोग के कारण शीघ्र ही निर्बल हो जाता है और कुछ ही समय में वह किसी कार्य के योग्य नहीं रहता । समय-संयम सफलता की निश्चित कुन्जी है । इसे प्राप्त करना प्रत्येक बुद्धिमान का मानवीय कर्त्तव्य है ।

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