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विचार मंथनः श्रेष्ठ जिन्दगी जीने की सीख मुनि तरूण सागर जी महाराज के इन सूत्रों में..

Published: Aug 31, 2018 05:54:22 pm

Submitted by:

Shyam

विचार मंथनः श्रेष्ठ जिन्दगी जीने की सीख मुनि तरूण सागर जी महाराज के इन सूत्रों में..

Daily Thought

विचार मंथनः श्रेष्ठ जिन्दगी जीने की सीख मुनि तरूण सागर जी महाराज के इन सूत्रों में..

1- जिंदगी में माँ, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं ! जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी हैं-बचपन में माँ का, जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का, माँ बचपन को संभाल देती हैं, महात्मा जवानी सुधार देता हैं और बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेता हैं ।

 

2- खिल सको तो फुल की तरह खिलो ! जल सको तो दीप की तरह जलो ! मिल सको तो दूध में पानी की तरह मिलो ! ऐसी ही जीवन की नीति हो, रीती हो और प्रीति हो ।

 

3- सुंदर रूप वाला, यौवन से युक्त ऊचें कुल में उत्पन्न होने पर भी विद्या से हिन् मनुष्य सुगंध रहित फुल के समान रहता हैं ।

 

4- रेस में जितने वाले घोड़े को तो पता भी नहीं होता की जित वास्तव में क्या हैं ! वो तो अपने मालिक द्वारा दी गयी तकलीफ की वजह से दौड़ता हैं ! तो जीवन में जब भी आपको तकलीफ हो और कोई मार्ग न दिखाई दे तब समझ जाईयेगा की मालिक आपको जितना चाहता हैं ।

 

5- जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सिख लो; जिसने जीवन से समझौता करना सिख लिया वह संत हो गया, वर्तमान में जीने के लिए सजग और सावधान रहने की आवश्यकता हैं ।

 

6- धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह हैं, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता; प्रत्येक व्यक्ति ’लाभ’ की कामना करता हैं, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात ‘भला’ करने से दूर भागता हैं ।

 

7- गुलाब काटों में भी मुस्कुराता हैं; तुम भी प्रतिकूलता में मुस्कुराओ, तो लोग तुमसे गुलाब की तरह प्रेम करेंगे! याद रखना जिन्दा आदमी ही मुस्कुराएगा, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता और कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, हसना तो सिर्फ मनुष्य के भाग्य में ही हैं; इसलिए जीवन में सुख आये तो हस लेना, लेकिन दुख आये तो हसी में उड़ा देना ।

 

8- धन का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखे की पैसा कुछ भी हो सकता हैं, बहोत कुछ हो सकता हैं, लेकिन सबकुछ नहीं हो सकता हार आदमी को धन की अहमियत समझना बहोत जरुरी हैं ।

 

9- कभी तुम्हारे माँ – बाप तुम्हें डाट दे तो बुरा नहीं मानना; बल्कि सोचना – गलती होने पर माँ–बाप नहीं डाटेंगे तो और कौन डाटेंगे, और कभी छोटे से गलती हो जाये और यह सोचकर उन्हें माफ़ कर देना की गलतिया छोटे नहीं करेंगे तो और कौन करेंगा ।

 

10- गुलामी की जंजीरों से स्वतंत्रता की शान अच्छी, हजारों रूपये की नौकरी से चाय की दुकान अच्छी ।

 

क्रांतिकारी राष्ट्र संत जैन मुनि तरूण सागर जी महाराज के इन जीवन उपयोगी सूत्रों को जीवन में अपना कर कोई भी अच्छा इंसान बन सकता हैं ।

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