scriptविचार मंथन : जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा- गुरु अंगद देव जी | Daily Thought Vichar Manthan : Guru Angad Dev Ji | Patrika News

विचार मंथन : जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा- गुरु अंगद देव जी

locationभोपालPublished: Oct 11, 2019 05:58:56 pm

Submitted by:

Shyam

Daily Thought Vichar Manthan : जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे, तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा- गुरु अंगद देव जी

विचार मंथन : जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा- गुरु अंगद देव जी

विचार मंथन : जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा- गुरु अंगद देव जी

रूप सिंह बाबा ने अपने गुरु अंगद देव जी की बहुत सेवा की। 20 साल सेवा करते हुए बीत गए। गुरु अंगद देव जी अपने शिष्य रूप सिंह जी पर बहुत प्रसन्न हुए और कहा मांगो जो मांगना है। रूप सिंह जी बोले गुरुदेव मुझे तो कुछ भी मांगना ही नहीं आता। गुरु के बहुत कहने पर रूप सिंह जी बोले मुझे एक दिन का वक़्त दो घरवाले से पूछ्कर कल बताता हुं। घर जाकर रूप सिंह ने अपनी माँ से पुछा तो माँ बोली जमीन मांग ले।

 

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माँ की बात से रूप सिंह का मन नहीं माना तो उसने अपनी बीवी से पुछा तो वह बोली इतनी गरीबी है कुछ पैसे ही मांग लो। फिर भी रूप सिंह का मन नहीं माना। तभी रूप सिंह की छोटी बिटिया बोली पिताजी गुरु ने जब कहा है कि मांगो तो कोई छोटी मोटी चीज़ न मांग लेना। इतनी छोटी बेटी की बात सुन के रूप सिंह जी बोले कल तू ही साथ चल गुरु से तू ही मांग लेना। अगले दिन पिता पुत्री दोनों गुरु अंगद देव के पास गए और बोले हे गुरुदेव मेरी बेटी मेरी जगह आपसे मांगेगी।

 

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वो नन्ही बेटी बहुत समझदार थी। रूप सिंह जी इतने गरीब थे के घर के सारे लोग दिन में एक वक़्त का खाना ही खाते। इतनी तकलीफ होने के बावजूद भी उस नन्ही बेटी ने गुरु से कहा गुरुदेव मुझे कुछ नहीं चाहिए। आप के हम लोगों पे बहुत एहसान है, आपकी बड़ी रहमत है, बस मुझे एक ही बात चाहिए कि आज हम दिन में एक बार ही खाना खाते हैं। कभी आगे एसा वक़्त आये के हमे चार पांच दिन में भी अगर एक बार खाए तब भी हमारे मुख से शुक्राना ही निकले, कभी शिकायत ना करे। शुकर करने की दान दो।

 

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इस बात से गुरु अंगद देव महाराज जी बहुत अधिक प्रसन्न हो हुए एवं आशीर्वाद दिया, जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा। तो यह है शुकर करने का फल। सदा शुकर करते रहे। सुख में सिमरन। दुःख में अरदास। हर वेले शुकराना।

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