script

विचार मंथन : आत्मज्ञान का प्रयास सभी बुराईयों को ख़त्म कर देगा- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

locationभोपालPublished: Sep 24, 2018 06:11:07 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

आत्मज्ञान का प्रयास सभी बुराईयों को ख़त्म कर देगा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : आत्मज्ञान का प्रयास सभी बुराईयों को ख़त्म कर देगा- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

भगवान् की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके के नाम पर बोलने का दावा करते हैं । पाप पवित्रता का उल्लंघन नहीं ऐसे लोगों की आज्ञा का उल्लंघन बन जाता है । दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जायेंगे यदि यह सत्य कि प्रेम द्वेष से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नही करता । केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता हैं । स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है । उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है । हम उतने ही नौजवान या बूढें हैं जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है । पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं ।

 

कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है । कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए । लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के नहीं बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है । एक साहित्यिक प्रतिभा, कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता । हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुशाशन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो । शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके । किताब पढना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची ख़ुशी देता है । कवी के धर्म में किसी निश्चित सिद्धांत के लिए कोई जगह नहीं है । कहते हैं कि धर्म के बिना इंसान लगाम के बिना घोड़े की तरह है ।

 

यदि मानव दानव बन जाता है तो ये उसकी हार है, यदि मानव महामानव बन जाता है तो ये उसका चमत्कार है । यदि मनुष्य मानव बन जाता है तो ये उसके जीत है । धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है । राष्ट्र, लोगों की तरह सिर्फ जो हांसिल किया उससे नहीं बल्कि जो छोड़ा उससे भी निर्मित होते हैं । मानवीय जीवन जैसा हम जीते हैं वो महज हम जैसा जीवन जी सकते हैं उसक कच्चा रूप है । कोई भी जो स्वयं को सांसारिक गतिविधियों से दूर रखता है और इसके संकटों के प्रति असंवेदनशील है वास्तव में बुद्धिमान नहीं हो सकता । आध्यात्मक जीवन भारत की प्रतिभा है । मानवीय स्वाभाव मूल रूप से अच्छा है और आत्मज्ञान का प्रयास सभी बुराईयों को ख़त्म कर देगा । मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नही बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी ज़रुरत है । मौत कभी अंत या बाधा नहीं है बल्कि अधिक से अधिक नए कदमों की शुरुआत है । ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है ।

ट्रेंडिंग वीडियो