सिद्धि सदन और विद्यावारिधि गणेशजी आठों सिद्धियों और नव निधियों के देने वाले हैं । गणेश चतुर्थी को लोग दिन भर व्रत रखते हैं । चार घड़ी रात बीतने पर जब आकाश में चन्द्रमा दिखलाई पड़ता है, तो आँगन में पवित्र किये स्थान पर ताँबे या मिट्टी का कलश जल से भर कर उसके ऊपर चाँदी, पीतल या मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करके विधिवत् उनकी पूजा करते हैं । इसके बाद गणेश जी प्रसाद लड्डू आदि ग्रहण करते हैं ।
जो लोग श्रद्धापूर्वक गणेश चतुर्थी का व्रत करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ सिद्ध होती हैं । स्कन्द पुराण में लिखा है कि श्रीकृष्णजी के उपदेश से युधिष्ठिर महाराज ने इस व्रत को किया था, जिससे महाभारत संग्राम में पाण्डवों की विजय श्री हुई थी । तब से इस व्रत का विशेष प्रचार हुआ ।
इस प्रकार गणेश जी का व्रत सब कामनाओंं को पूर्ण करने वाला है । निष्ठा के साथ इस व्रत के करने से हर तरह की समस्यायों का समाधान हो जाता है, ऐसी इस व्रत को करने की महिमा है ।
( युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा )