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भगवान शिव और पार्वती की पुत्री ‘अशोक सुंदरी’ के बारे में ये बात नहीं जानते होंगे आप

Published: Jul 18, 2016 09:47:00 am

जब से एक टीवी चैनल के धारावाहिक में अशोक सुंदरी नामक कन्या को भगवान शिव की पुत्री बताया गया, लोग चकित  हैं

amavasya bholenath astro news

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जब से एक टीवी चैनल के धारावाहिक में अशोक सुंदरी नामक कन्या को भगवान शिव की पुत्री बताया गया, लोग चकित हैं। हर कोई शिव- पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के बारे में ही जानता है। परन्तु पुत्री अशोक सुंदरी कहां से आई? शिव पुराण का संपूर्ण विचार भगवान शिव के संन्यासी से गृहस्थ बनने की सामाजिक प्रक्रिया का आख्यान है।

इसका अर्थ है शिवजी ने पितृत्व का दायित्व निभाया। वे सांसारिक मोह माया से दूर रहने वाले हैं लेकिन शक्ति ने उनको सांसारिक बंधन में लाने के लिए संकल्पित किया। विष्णु व अन्य देवता भी पार्वती का साथ देते हैं। तमिल शास्त्रों में भगवान विष्णु पार्वती के भाई हैं और ब्रह्मा पिता। ये सब चाहते थे कि शिवजी गृहस्थी बसाएं। संतान का होना इसीलिए आवश्यक माना गया क्योंकि तभी शिवजी की बौद्धिक एवं महान शक्तियों का लाभ जनकल्याण के लिए मिलेगा।

इसलिए पुत्र जन्म लेते हैं। गौर कीजिए, कैसे भगवान शिव के दोनों पुत्र मानवता की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं का ख्याल रखते हैं। गणेश जी का संबंध भोजन से है, जिससे हमें भुखमरी का भय नहीं सताता और कार्तिकेय का कल्याण से है। यह दैत्यों से हमारी रक्षा के लिए आवश्यक है।

आशय यह है कि अपने इन दो पुत्रों के माध्यम से शिव जी हमारा संरक्षण करते हैं। शिव जी के दो और पुत्रों का उल्लेख भी मिलता है-अयप्पा और आयनार। ये महान योद्धा देवता दक्षिण भारत में लोकप्रिय है। जब पार्वती ने शिव के नेत्र बंद किए तब उनके स्वेद से असुर अंधक का जन्म हुआ। कहीं-कहीं हनुमानजी के जन्म का भी उद्धरण है।

 विद्वानों की दृष्टि से यह ‘पुरुष प्रधानता’ छिपी नहीं रह सकी इसीलिए लोक परम्पराओं में भगवान शिव की पुत्रियों का भी उल्लेख मिलता है। अशोक सुंदरी की कथा पद्म पुराण में है। उसका जन्म तब हुआ जब भगवान शिव और पार्वती कल्प वृक्ष के पास गए और पार्वती ने कैलाश पर अपना एकाकीपन दूर करने के लिए कन्या की कामना की।



यह इच्छा तुरंत पूरी हुई और पुत्री का नामकरण अशोक हुआ उसे सुंदरी इसलिए कहा गया क्योंकि वह सुंदर थी। उनका विवाह चंद्रवंशीय ययाति के पौत्र नहुष के साथ होना तय था। कथा है कि एक राक्षस अशोक सुंदरी का अपहरण करना चाहता था। वह उससे बच कर भागती है और श्राप देती है कि उनका पति ही उसका वध करेगा। अशोक सुंदरी और नहुष का विवाह ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में हुआ था। गुजरात की व्रत कथाओं में भी अशोक सुंदरी का जिक्र है।इससे अधिक उल्लेख नहीं मिलता। एक प्रसंग और है कि जब श्री गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया तो सुंदरी भी वहीं थी जो अपनी मां से रूठ डर के मारे नमक के बोरे के पीछे छिप गई थी। बाद में शिव ने उसे शांत किया।

इस प्रकार उनका संबंध नमक से है, जिसके बिना जीवन बेस्वाद है। अशोक सुंदरी को ओखा नाम से भी पुकारा जाता है और चैत्र में उनकी याद में नमक नहीं खरीदा जाता। एक लोककथा, काफी कुछ असुर बाण की पुत्री ऊषा की कथा से मिलती है। बाण ने कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का अपहरण किया था। बाण, शिव का परम भक्त था। उसने शिव से संतान का वर मांगा तो उन्होंने उसे ओखा या ऊषा या अशोक सुंदरी दे दी।

तमिलनाडु के शिव मंदिर में लोग प्रकाश की देवी ज्योति के पास से जरूर निकलते हैं। इसका उद्भव शिव जी के कमंडल से माना गया है और उनकी दैदीप्यमान आभा का भौतिक स्वरूप है। इसका संबंध कार्तिकेय से होना माना गया है। बंगााली लोक कथाओं में नागराज वासुकी की बहिन मनसा देवी का उल्लेख है जो सांप के काटे से रक्षा करती है। इनका जन्म शिव के वीर्य के सर्पों की मां काद्रू द्वारा बनाई गई एक मूर्ति के सम्पर्क में आने से हुआ। इस प्रकार वे शिव पु़त्री कहलाईं लेकिन पार्वती की नहीं। कार्तिकेय का भी जन्म तो शिव जी के वीर्य से हुआ परंतु पार्वती के गर्भ से नहीं। लोककथा के अनुसार पार्वती का चंडी रूप मनसा को पसंद नहीं करता बल्कि चंडी उनसे ईष्र्या करती है।

उसे संदेह था कि कहीं यह शिव की गुप्त पत्नी तो नहीं हैं। जिस वक्त शिवजी समुद्र मंथन से निकले विष का पान कर रहे थे तब मनसा देवी ही थीं, जिन्होंने स्वयं को शिवपुत्री बताते हुए उनको ऐसा करने से रोका था। ईष्र्यावश चंडी ने मनसा को तीर मार कर एक आंख से वंचित कर दिया। गृहक्लेश से तंग आकर शिव जी मनसा का परित्याग कर देते हैं परन्तु उन्हें एक नेता नाम का साथी दे दिया।

मनसा के विवाह पर चंडी ने उसे सर्पों के आभूषण पहन नववधू के कक्ष में जाने को कहा। इससे मनसा का पति जरात्कुरू डर कर भाग जाता है। पिता और पति द्वारा त्यागे जाने पर दुखी मनसा क्रोधकी देवी बन जाती हैं। सांप के काटे जाने से मृत्यु का भय हो तो मनसा देवी को मनाना पड़ता है। हिन्दुत्व में भक्तों द्वारा देवी-देवता बनाने की परम्परा है। बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि संतोषी मां का हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहीं उललेख नहीं था जब तक 1970 में संतोषी मां नाम की फिल्म नहीं आई थी। क्या अशोक सुंदरी का नाम 33 करोड़ देवी-देवताओं के बाद अगला है?

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