
यह इच्छा तुरंत पूरी हुई और पुत्री का नामकरण अशोक हुआ उसे सुंदरी इसलिए कहा गया क्योंकि वह सुंदर थी। उनका विवाह चंद्रवंशीय ययाति के पौत्र नहुष के साथ होना तय था। कथा है कि एक राक्षस अशोक सुंदरी का अपहरण करना चाहता था। वह उससे बच कर भागती है और श्राप देती है कि उनका पति ही उसका वध करेगा। अशोक सुंदरी और नहुष का विवाह ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में हुआ था। गुजरात की व्रत कथाओं में भी अशोक सुंदरी का जिक्र है।इससे अधिक उल्लेख नहीं मिलता। एक प्रसंग और है कि जब श्री गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया तो सुंदरी भी वहीं थी जो अपनी मां से रूठ डर के मारे नमक के बोरे के पीछे छिप गई थी। बाद में शिव ने उसे शांत किया।
इस प्रकार उनका संबंध नमक से है, जिसके बिना जीवन बेस्वाद है। अशोक सुंदरी को ओखा नाम से भी पुकारा जाता है और चैत्र में उनकी याद में नमक नहीं खरीदा जाता। एक लोककथा, काफी कुछ असुर बाण की पुत्री ऊषा की कथा से मिलती है। बाण ने कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का अपहरण किया था। बाण, शिव का परम भक्त था। उसने शिव से संतान का वर मांगा तो उन्होंने उसे ओखा या ऊषा या अशोक सुंदरी दे दी।
तमिलनाडु के शिव मंदिर में लोग प्रकाश की देवी ज्योति के पास से जरूर निकलते हैं। इसका उद्भव शिव जी के कमंडल से माना गया है और उनकी दैदीप्यमान आभा का भौतिक स्वरूप है। इसका संबंध कार्तिकेय से होना माना गया है। बंगााली लोक कथाओं में नागराज वासुकी की बहिन मनसा देवी का उल्लेख है जो सांप के काटे से रक्षा करती है। इनका जन्म शिव के वीर्य के सर्पों की मां काद्रू द्वारा बनाई गई एक मूर्ति के सम्पर्क में आने से हुआ। इस प्रकार वे शिव पु़त्री कहलाईं लेकिन पार्वती की नहीं। कार्तिकेय का भी जन्म तो शिव जी के वीर्य से हुआ परंतु पार्वती के गर्भ से नहीं। लोककथा के अनुसार पार्वती का चंडी रूप मनसा को पसंद नहीं करता बल्कि चंडी उनसे ईष्र्या करती है।
उसे संदेह था कि कहीं यह शिव की गुप्त पत्नी तो नहीं हैं। जिस वक्त शिवजी समुद्र मंथन से निकले विष का पान कर रहे थे तब मनसा देवी ही थीं, जिन्होंने स्वयं को शिवपुत्री बताते हुए उनको ऐसा करने से रोका था। ईष्र्यावश चंडी ने मनसा को तीर मार कर एक आंख से वंचित कर दिया। गृहक्लेश से तंग आकर शिव जी मनसा का परित्याग कर देते हैं परन्तु उन्हें एक नेता नाम का साथी दे दिया।
मनसा के विवाह पर चंडी ने उसे सर्पों के आभूषण पहन नववधू के कक्ष में जाने को कहा। इससे मनसा का पति जरात्कुरू डर कर भाग जाता है। पिता और पति द्वारा त्यागे जाने पर दुखी मनसा क्रोधकी देवी बन जाती हैं। सांप के काटे जाने से मृत्यु का भय हो तो मनसा देवी को मनाना पड़ता है। हिन्दुत्व में भक्तों द्वारा देवी-देवता बनाने की परम्परा है। बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि संतोषी मां का हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहीं उललेख नहीं था जब तक 1970 में संतोषी मां नाम की फिल्म नहीं आई थी। क्या अशोक सुंदरी का नाम 33 करोड़ देवी-देवताओं के बाद अगला है?