दोनों ही वार्डों में एक जैसे हालात जिला अस्पताल के महिला और पुरुष दोनों ही वार्डों में एक जैसे हालात पैदा हो गए हैं। पुरुष वार्ड में तो फिर भी मरीज कम दिखाई दे रहे हैं और वार्ड थोड़ा बड़ा है किंतु महिला वार्ड में सबसे ज्यादा परेशानी झेलना पड़ रही है। इस वार्ड में बरामदे में लगे पलंगों के सामने भी कंबल बिछाकर मरीजों को रखना पड़ रहा है। ऐसे में इधर से उधर निकलने तक की जगह नहीं बचती है। महिला वार्ड में शौचालय के के पास तक बिछायत करके रखना पड़ रहा है। यहां बदबू की वजह से परेशान होने के बाद भी मरीज इलाज ले रहे हैं। यही हाल बरामदे में भी है। चैनल गेट के यहां सीसीयू और आईसीयू के बीच की नाली से फैलती बदबू और बरामदे से लगे शौचालय से निकलती बदबू ने नाक में दम कर रखा है।
मेटरनिटी वार्ड पड़ा है खाली जिला अस्पताल से मेटरनिटी वार्ड पूरा एमसीएच में स्थानांतरित हो जाने से यह पूरा वार्ड खाली पड़ा हुआ है। यही नहीं एक्लेम्सिया और कंगारू वार्ड भी खाली है किंतु यहां मरीजों को नहीं रखा जा रहा है। इन वार्डो में कम से कम ५० से ७५ मरीज आसानी से रखे जा सकते हैं किंतु अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है कि वह इन खाली पड़े वार्डों का उपयोग नहीं कर रहा है जिससे वर्तमान में जिन वार्डों में मरीजों को रखा जा रहा है वहां परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
चार दिन से चल रहा इलाज पिछले चार दिन से इलाज चल रहा है। अस्पताल में जगह नहीं होने से हमारी बच्ची को शौचालय के पास लेटा रखा है ताकि बॉटल चढ़ सके और समय पर इंजेक्शन लग सके। दिन में बॉटल चढ़वा लेते हैं और शाम को भी बॉटल चढऩे के बाद इंजेक्शन लगते हैं और फिर हम शाम को चले जाएंगे। बदबू से इतने परेशान हैं कि पूरे समय नाक पर कपड़ा रखना पड़ रहा है।
रजिया, मरीज की परिजन इंजेक्शन लगवाने के बाद चले जाएंगे शाम को इंजेक्शन लगवाने के बाद चले जाएंगे। अभी (दोपहर में) बॉटल चढ़ रही है। शाम को भी इजेक्शन लगाया जाना है। इसके बाद हम इसे लेकर घर चले जाएंगे। सिस्टरें भी कहती है कि बाहर पड़े रहने से अच्छा है कि शाम को इलाज लेने के बाद रात में घर चले जाओ और सुबह वापस आ जाओ। इसे चक्कर आना, उल्टी होना और ब्लड प्रेशर लो हो गया था। इसलिए तीन दिन पहले भर्ती किया था।
इदरिस खान, मरीज का जीजा ओवरलोड हो रहा अस्पतला जिला अस्पताल मरीजों से ओवरलोड हो रहा है। मेल और फीमेल दोनों ही वार्डो में बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं जिन्हें भर्ती करना पड़़ रहा है। शहर के मरीज घर जा सकते हैं इसलिए उन्हें रात में छूट दे देते हैं कि वे जा सकते हैं। सुबह वापस डॉक्टर के राउंड के समय आ जाएं। दिन में उनका पूरा इलाज होता है। मौसम में संक्रमण काल चलने से मौसमी बीमारियों से जुड़े मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा हो रही है।
डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल