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रचा तपस्या का इतिहास…एक साथ 200 से अधिक तपस्वियों का बहुमान

locationरतलामPublished: Oct 06, 2018 11:06:41 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

रचा तपस्या का इतिहास…एक साथ 200 से अधिक तपस्वियों का बहुमान

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रचा तपस्या का इतिहास…एक साथ 200 से अधिक तपस्वियों का बहुमान

रतलाम। आचार्यश्री रामेश की प्रेरणा रतलाम में तपस्या का इतिहास रच रही है। संयम साधना महोत्सव में अब तक 128 मासक्षमण एवं इससे अधिक दिनों के उपवास की तपस्याएं हो चुकी है। इन तपस्वियों सहित नगर के सभी मासक्षमण एवं इससे अधिक तप आराधना करने वाले 180 से अधिक तपस्वियों का श्री साधुमार्गी जैन संघ 7 अक्टूबर को बहुमान करेगा। इस मौके पर दया का मासक्षमण करने वाले 30 सहित २०० से अधिक तपस्वियों का बहुमान होगा।
गोपाल नगर स्थित समता भवन के पास सांस्कृतिक मंच पर आयोजित तपोत्सव में श्री साधुमार्गी जैन संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उमरावसिंह ओस्तवाल मुंबई एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजमल पंवार कानवन अतिथि रहेंगे। चातुर्मास संयोजक महेन्द्र गादियाए श्रीसंघ अध्यक्ष मदनलाल कटारिया, स्वागताध्यक्ष हिम्मत कोठारी, मंत्री सुशील गौरेचा ने बताया कि आचार्यश्री की निश्रा में सुबह 8.45 बजे समता कुंज में प्रवचन होंगे। इसके बाद 11 बजे गोपाल नगर में साधार्मिक भक्ति का आयोजन किया गया है। तपस्वियों का अभिनंदन समारोह दोपहर 12.30 बजे होगा।
धर्मालुजनों से तपोत्सव में उपस्थित होने का आव्हान
श्री संघ उपाध्यक्ष कपूर कोठारी, राजूभाई कोठारी, सहसंयोजक कांतिलाल छाजेड़, निर्मल मूणत, सहसचिव विनोद मेहता, कनकमल बोथरा, कोषाध्यक्ष सुदर्शन पिरोदिया सहित कार्यकारिणी सदस्यों, युवा संघ अध्यक्ष राहुल जैन, मंत्री अजय घोटा, महिला मंडल अध्यक्ष सरोजबेन पिरोदिया, मंत्री वीणा डाबरिया, बहू मंडल अध्यक्ष प्रियंका कोठारी, मंत्री सोनाली गौरेचा,बालक मंडल अध्यक्ष अंकित लसोड़, मंत्री नमिष पिरोदिया, बालिका मंडल अध्यक्ष दिव्या मूणत, मंत्री रिद्धि नागौरी एवं साक्षी देवड़ा ने धर्मालुजनों से तपोत्सव में अधिक से अधिक उपस्थित होने का आव्हान किया है।
31 उपवास करने वाले तपस्वियों का अभिनंदन
आचार्यश्री की निश्रा में शनिवार को सौरभ नागौरी, संजय मूणत, रामगोपाल पंवार, त्रिलोक सुराना, रानी सुराना, शैफाली पिछोलिया, पंकज पटवा ने 31 उपवास की तपस्या का संकल्प किया। तपस्वी सौरभ नागौरी एवं रामगोपाल पंवार का श्रीसंघ ने समता अतिथि परिसर में अभिनंदन किया।
धर्मआराधना में नहीं रखे भौतिक आकांक्षा
आचार्यश्री ने शनिवार सुबह अमृत देशना में हर परिस्थिति में जीने की सीख दी। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने महलों और जंगल दोनों स्थानों पर एक जैसे स्वभाव में रहकर समय गुजारा। पैसे के अमीर तो बहुत होते है, लेकिन जो हर स्थिति में जी लेता है, वह दिल का अमीर होता है। उन्होंने कहा कि धर्म आराधना भौतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए। इसमें कोई भौतिक आकांक्षा नहीं रखना चाहिए। आरंभ में अटलमुनि ने बच्चों को मोबाइल से दूर रखने और हर क्षेत्र में उत्क्रांति का पालन करने का आव्हान किया। संचालन सुशील गौरेचा एवं महेश नाहटा ने किया।

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