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आजादी से अब तक प्रजातंत्र में वकीलों की भूमिका अहम

locationरतलामPublished: May 21, 2018 03:14:23 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

आजादी से अब तक प्रजातंत्र में वकीलों की भूमिका अहम
परिचर्चा में बोले अभिभाषक, लिया संकल्प

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आजादी से अब तक प्रजातंत्र में वकीलों की भूमिका अहम


रतलाम. जिले के जावरा में पत्रिका के चंेजमेकर महाअभियान के तहत सोमवार को अभिभाषको के बीच बार में परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें बदलाव के नायक के रुप में स्वच्छ राजनीति को लेकर वकीलों ने बेबाकी से अपनी बात रखी। अधिकांश ने कहा कि देश को आजाद करवाने से लेकर आजादी के बाद से अब तक प्रजातंत्र में वकीलों की अहम भूमिका रही है। लोकतंत्र के महाकुंभ चुनाव में अभिभाषको आगे आना चाहिए। जिससे सरकारों में नीतियों व कानून को समझने वाले लोग पहुंचेगे तो व्यवस्थाओं के संचालन के लिए बेहतर नीतिया बनेगी। स्वच्छ राजनीति में खुद की भूमिका का निर्वहन के लिए वकीलो ने संकल्प भी लिया। इस दौरान वरिष्ठ अभिभाषक व संघ से जुड़े अन्य सदस्य भी मौजूद रहें।
यह रहे मौजूद

वरिष्ठ अभिभाषक प्रकाश मेहरा, वरुण श्रोत्रिय, सजी वर्गीस, गगन श्रीमाल, भरत सैनी, अशोक सेठिया, मुर्शरफ खान, मकसूद एहमद, अजय श्रीवास्तव, निजामअली शाह, पर्वतलाल गोयल, जटाशंकर शर्मा के साथ ही अन्य मौजूद थे।

हर समय निभाई अपनी भूमिका
आजादी के पहले से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन और अब सरकारों से लेकर होने वाले चुनाव या संविधान हर जगह वकीलों ने देश व समाज के लिए प्रजातंत्र में अपनी भूमिका का निर्वहन किया है। देश व राज्य के साथ तमाम प्रकार की व्यवस्थाओं के सही संचालन के लिए वकीलों की भूमिका अहम है। -प्रकाश मेहरा, वरिष्ठ अभिभाषक
हमें स्वयं आना होगा आगे
देश को आगे ले जाने में हर मोर्चे पर वकीलों का अहम योगदान रहा है, लेकिन वर्तमान परिवेश में वकीलों को आगे लाने में हर कोई संकोच कर रहा है। राजनीतिक दल किसी भी सूरत में वकीलों को आगे आने ही नहीं देना चाहते। एेसे मंे हमें स्वयं ही समाज के लिए अपनी भूमिका तय करते हुए आगे आना होगा। -वरुण श्रोत्रिय, वरिष्ठ अभिभाषक
अनुभव की तराजू में तोलकर ले सकते है निर्णय

गांधी भी वकील थे और देश को आजाद कराया। वर्तमान में एक मुकाम पर पहुंचने के बाद राजनीतिक दल में बैठे लोग आमजन को भुल जाते है, एेसे मंे जरुरत है जो एेसे लोगों की जो व्यवस्था चला सकें। पक्षकारों से वकील सीधे बात कर उनकी तकलीफों को सुनता है। इसलिए अपने अनुभवों की तराजू में तोलकर वकील निर्णय ले सकता है। -मुर्शरफ खान, अभिभाषक
विधि के ज्ञान और अनुभव से बनेगी नीतिया
लोकसभा व विधानसभा में जब वकील पहुंचेगे तो वहां बनने वाले नीतियों में विधि के ज्ञान के साथ अपने अनुभवों को रख सकेंगे। विधि और अनुभव के आधार पर बनने वाली नीतियों देश को और आगे ले जाएगी और यह कारगर भी होगी। इसलिए वकीलों को राजनीति में आगे आकर अपनी भूमिका निभाना चाहिए। -सजी वर्गीस, अभिभाषक
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