चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद से अंतिम समय तक चुनाव आयोग से लेकर निर्वाचन अधिकारी इस बात का प्रचार करते है मतदान अधिक हो। इसके लिए नुक्कड़ नाटक से लेकर तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते है। इन सब के बीच रतलाम रेल मंडल में काम करने वाले ५ हजार से अधिक कर्मचारी लोकसभा चुनाव में पिछली बार की ही तरह मतदान नहीं कर पाएंगे।
ये एक बड़ा कारण
रेलवे में मंडल के अलग-अलग सेक्शन में गैंगमेन से लेकर कीमैन, पाइंट्समैन की ड्यूटी रहती है। इनके अलावा इनके उपर सहायक इंजीनियर से लेकर अन्य अधिकारी रहते है। ट्रेन में मंडल में काम करने वाले ४०० टीटीई की ड्यूटी, गार्ड से लेकर रेल चालक व सहायक चालक आदि की ड्यूटी रहती है। उदाहरण के लिए १८ मई को रतलाम से मालगाड़ी लेकर कोटा, बड़ोदरा या भोपाल गए चालक, गार्ड व सहायक चालक की वापसी अगले दिन याने १९ मई की शाम तक होगी। ये चाहे तो भी मतदान नहीं कर पाएंगे, क्योकि शाम को ६ बजे तक जब ये ड्यूटी ऑफ करके घर पहुंचेंगे तब तक मतदान ही समाप्त हो चुका होगा।
सिर्फ ३० मिनट का समय
मंडल रेल कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के अनुसार दोपहर में भोजन के लिए सिर्फ ३० मिनट का समय मिलता है। उतने समय में तेजी से वाहन से घर जाते है व वापसी करते है। मतदान के लिए अलग से समय देना चाहिए। जो की नहीं दिया गया। इसके अलावा महिलाओं की परेशानी अलग है, उनके अनुसार सुबह जल्दी मतदान के लिए जाए भ्ज्ञी तो समस्या ये है की इससे घर के कार्य प्रभावित होंगे। सबसे अधिक परेशानी को रनिंग कर्मचारियों की है।
इस बारे में कोई आदेश नहीं है
वे कर्मचारी जिनकी चुनाव में ड्यूटी रहती है, उनको बैलेट पेपर देने के साफ निर्देश है। रेलवे में ड्यूटी कर रहे या ट्रेन चला रहे, उनके लिए अलग से आयोग के कोई निर्देश नहीं है।
– रूचिका चौहान, जिला निर्वाचन अधिकारी
लोकतंत्र की इनको चिंता नहीं
हम मतदाता है, लेकिन ड्यूटी के चलते वोट नहीं डाल पाते। हमको अलग से बैलेट पेपर मिलना चाहिए। इनको लोकतंत्र की चिंता ही नहीं है, होती तो ५ हजार कर्मचारियों के मतदान के बारे में विचार होता।
– राजेंद्र वर्मा, संगठन मंत्री, रेलवे टिकट चैकिंग आर्गेनाइजेशन